Raksha Panchami 2023: कब है रक्षा पंचमी? इस दिन भी बहनें भाई को बांध सकती हैं राखी! जानें इसका महत्व एवं पूजा-विधि!
रक्षा पंचमी (Photo: Photo: File Image)

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की पंचमी को रक्षा पंचमी के नाम से जाना जाता है. रक्षा पंचमी का यह पर्व रक्षाबंधन के पांचवे दिन और कृष्ण जन्माष्टमी से तीन दिन पूर्व मनाया जाता है. इस तिथि के बारे में मान्यता है कि जो बहनें किसी कारणवश श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन अपने भाई को राखी नहीं बांध पाई होती हैं, वह रक्षा पंचमी पर भाई की कलाई में राखी बांधकर उसकी रक्षा की कामना कर सकती हैं. इस दिन की विशेष बात यह है कि इस तिथि को भगवान शिव एवं उनके पुत्र गणेश जी की पूजा की जाती है. इस वर्ष रक्षा पंचमी 04 सितंबर 2023, सोमवार को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं रक्षा पंचमी के महत्व, मुहूर्त एवं पूजा विधि के बारे में...यह भी पढ़ें: Bahula Chauth 2023: कब है बहुला चौथ? जानें इस व्रत का महात्म्य, पूजा-विधि एवं गाय-सिंह की रोचक कथा!

रक्षा पंचमी का महत्व

रक्षा पंचमी का पर्व मूलतः उड़ीसा में मनाया जाता है. इस पर्व को रेखा पंचमी, शांति पंचमी भी कहते हैं. यह पर्व बटुक भैरव को समर्पित है, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार रक्षा पंचमी पर वक्रतुण्ड स्वरूप हरिद्रा गणेश पर दूर्वा और पीला सरसों चढ़ाया जाता है. यह त्योहार मुख्य रूप से जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए मनाया जाता श्रावण पूर्णिमा के दिन अगर कोई बहन अपने भाई को किसी वजह से राखी नहीं बांध सकी होती है, वह रक्षा पंचमी के दिन राखी बांध सकती है. इससे भाई सदा स्वस्थ रहता है और परिवार में सुख एवं शांति रहती है, दुश्मन आपसे परास्त होते हैं. गुजरात में इस दिन को गोगा पंचमी के नाम से मनाया जाता है, जिसमें गुजराती समाज के लोग नागों की पूजा करते हैं.

रक्षा पंचमी 2023 की मूल तिथि एवं मुहूर्त

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की पंचमी प्रारंभः शाम 06.24 PM (03 सितंबर 2023, रविवार)

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की पंचमी समाप्त शाम 04.41 PM (04 सितंबर 2023, सोमवार)

नाग पूजा मुहूर्तः 06.24 AM से 08.53 AM तक

राखी बांधने का मुहूर्तः 09.31 AM से 11.04 AM तक

शिव-गणेश पूजा मुहूर्तः 06.24 AM से 07.57 AM तक

रक्षा पंचमी पर पूजा-अर्चना

रक्षा पंचमी पर सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि के पश्चात पूजा की तैयारी शुरू करते हुए घर के हर दरवाजे पर भगवान गणेश, बटुक भैरव और भगवान शिव की तस्वीर या पेंटिंग बनाई जाती हैं. कुछ लोग पिछले दरवाजे पर भगवान शिव के वाहन नंदी का भी चित्र बनाते हैं. शिव-भक्त ताड़ के पत्ते पर भगवान शिव की एक छोटी सी प्रार्थना लिखकर दरवाजे के सबसे ऊपरी हिस्से पर लटकाते हैं. इसके साथ ही हर दरवाजे पर एक पैकेट में चावल और कुशा रखकर लटकाया जाता है. रक्षा पंचमी पर सांपों और अन्य जंगली जानवरों को छोटी-छोटी भेंट चढ़ाने की भी परंपरा निभाई जाती है.