Raksha Bandhan 2021: रक्षाबंधन के संदर्भ में प्रचलन है कि श्रावण पूर्णिमा के दिन सर्वप्रथम ब्राह्मण देवता से राखी बंधवाने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद ही रक्षाबंधन के पर्व की शुभ शुरुआत होती है. लेकिन हमारे ज्योतिष शास्त्री रवींद्र पाण्डेय के अनुसार इस दिन स्नान-ध्यान के पश्चात महिलाएं सर्वप्रथम अपने इष्टदेवों को उनकी पसंद के रंगों वाले रक्षा-सूत्र बांधती हैं. ऐसा करने से उन पर देवगणों का पूरे वर्ष आशीर्वाद बना रहता है और देवतागण स्वयं उनके आत्म सम्मान की रक्षा करते हैं. आइये जानें किस देव को किस रंग का रक्षा सूत्र बांधना चाहिए.
गणेश जी को लाल रंग की राखी बांधें
हिंदू धर्म शास्त्रों में गणेशजी को प्रथम पूज्य माना जाता है, इसलिए किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत श्रीगणेशजी से ही करनी चाहिए. श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान गणेश को उनके पसंदीदा लाल रंग का रक्षा सूत्र बांधना चाहिए. ऐसा करने से घर-परिवार के सारे संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की वर्षा होती है. यह भी पढ़े: Raksha Bandhan 2021 DIY Rakhi Ideas: घर पर आसानी से उपलब्ध चीजों से बनाएं अपने भाई के लिए खूबसूरत राखी (Watch Video)
भगवान शिव को बांधें नीले रंग का रक्षा सूत्र
रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, चूंकि श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित मास है. इसलिए इस मास की पूर्णिमा के दिन श्रीगणेश जी के बाद भगवान शिव की पूजा करने के उपरांत रक्षा-सूत्र बांधना चाहिए. ज्योतिष शास्त्री के अनुसार ऐसा करने से भगवान शिव की कृपा से जातक को पूरे परिवार का प्यार और स्नेह प्राप्त होता है, और वह सपरिवार खुशहाल जीवन जीता है.
भगवान श्रीहरि को पीले रंग का रक्षा-सूत्र पहनाएं
भगवान श्रीहरि को पीतांबर इसीलिए पहनाते हैं क्योंकि उन्हें पीला रंग बहुत प्रिय है. श्रीहरि ब्रह्माण्ड के पाहनहार माने गये हैं, इसलिए कोई भी पर्व उनके बिना पूरा नहीं होता. रक्षा बंधन के दिन श्रीहरि को हल्दी-चावल का तिलक लगाने के बाद उन्हें पीले रंग का ही रक्षा-सूत्र बांधना चाहिए. ऐसा करने से श्रीहरि प्रसन्न होकर भक्त के सारे संकट हर कर जीवन को खुशहाल बनाते हैं.
श्रीकृष्ण को प्रिय है हरे रंग का रक्षा-सूत्र
रक्षाबंधन के संदर्भ में तमाम किंवदंतियां मशहूर हैं. ऐसी ही एक कथा श्रीकृष्ण एवं द्रौपदी को लेकर भी काफी प्रचलित है. कहते हैं कि वेद व्यास रचित महाभारत में जब द्रौपदी का चीर-हरण हो रहा था, श्रीकृष्ण चीर के एक छोर को पकड़कर उसे बढ़ाते जा रहे थे. काफी देर तक ऐसा करने से उनकी उंगलियों से रक्त बहने लगा था. तब द्रौपदी ने अपनी रक्षा स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण की कलाई में अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर बांधा था. इसके बाद से ही रक्षाबंधन पर्व का प्रचलन शुरु हुआ था. मान्यता है कि श्रीकृष्ण को हरे रंग का रक्षा-सूत्र बांधने से जातक के जीवन के सारे दुःख एवं कष्ट समाप्त हो जाते हैं.