Rajmata Jijabai Punyatithi 2025: राजमाता जिजाऊ की पुण्यतिथि पर ये कोट्स भेजकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करें!
राजमाता जिजाऊ पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

Rajmata Jijabai Punyatithi 2025: मान्यता है कि जिस हिंदवी स्वराज की स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी, उसके पीछे उनकी मां राजमाता जिजाऊ (Rajmata Jijabai) मासाहेब का प्रमुख योगदान था, जिसके पदचिन्हों पर आज भी महाराष्ट्र आगे बढ़ रहा है. जीजाबाई का जन्म 12 जनवरी 1598 को महाराष्ट्र के वर्तमान बुलढाणा जिले के सिंदखेड  में म्हाळसाबाई जाधव और लखुजी जाधव के घर  हुआ था, उनका विवाह काफी कम उम्र में वेरुल गांव के मालोजी भोसले के बेटे शाहजी भोसले से हुआ था. शाहजी भोसले वस्तुतः निज़ाम के अधीन सेवारत एक सैन्य कमांडर थे. जीजाबाई बालपन से ही एक कुशल घुड़सवार, तलवारबाज़, शिक्षाविद और प्रशासक थीं. 17 जून 1674 को पचड़ गांव (रायगढ़ किले के पास) में उनकी मृत्यु हो गई. तिथि के अनुसार इस साल 20 जून 2025 को जीजामाता की पुण्यतिथि मनाई जा रही है. गौरतलब है कि जीजाबाई के निधन के 11 दिन पहले ही महाराजा छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था. राजमाता की पुण्यतिथि पर अपने मित्रों-परिजनों को ये प्रेरणादायक कोट्स भेजकर इस वीरांगना को श्रद्धांजलि अर्पित करें..

1- ‘वह सिर्फ़ एक मां ही नहीं थीं, बल्कि शक्ति और प्रेरणा का स्तंभ थीं.’

राजमाता जिजाऊ पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

2- ‘जीजाऊ ने शिवाजी में आत्म-सम्मान और धर्म के महत्व की भावना पैदा की.’

राजमाता जिजाऊ पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

3- ‘जीजामाता ने शिवाजी के सपनों को पोषित किया और उन्हें एक मजबूत और स्वतंत्र राष्ट्र के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया.’

राजमाता जिजाऊ पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

4- ‘जीजाऊ की शिक्षाएं और मार्गदर्शन शिवाजी के नेतृत्व और हिंदवी स्वराज के लिए उनकी प्रतिबद्धता को आकार देने में सहायक थे.’

राजमाता जिजाऊ पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

5- ‘वह एक योद्धा, एक माँ और एक प्रशासक थीं, शक्ति और दृढ़ संकल्प की एक सच्ची प्रतिमूर्ति.’

राजमाता जिजाऊ पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

6- ‘अगर जिजामाता न होती, शिवाबा और शंभू न बचते, अगर वे न होती, तो हमें स्वराज्य का खजाना न मिलता. राजमाता जिजाऊ की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि

राजमाता जिजाऊ पुण्यतिथि (Photo Credits: File Image)

जीजाबाई का जीवन त्याग और साहस से भरा हुआ था, उन्होंने बचपन से ही अपने बेटे शिवाजी को तीर, तलवार जैसे अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा दी. इसके साथ ही उन्होंने पुत्र शिवाजी महाराज के भीतर राष्ट्रभक्ति और नैतिक चरित्र के बीज बोए. अपनी मां के मार्गदर्शन और उनके द्वारा दी गई शिक्षा की बदौलत ही शिवाजी भोसले छत्रपति शिवाजी महाराज कहलाए, इसके साथ ही वो एक वीर योद्धा, महान मराठा शासक, राष्ट्रभक्त और कुशल प्रशासक बने.