New year 2019: घड़ी की सुई टिक-टिक करते नए साल की तरफ बढ़ रही है और लोग साल 2018 (Year 2018) को अलविदा कहकर नए साल यानी 2019 के स्वागत के लिए बेकरार हैं. लोग नए साल के जश्न में 31 दिसबंर (December 31st) से ही जुट जाते हैं और जश्न मनाकर नए साल का स्वागत करते हैं. इस मौके कुछ लोग जमकर पार्टी करना चाहते हैं, तो कुछ लोग घूमने निकल जाते हैं. 31 दिसंबर की रात से ही हर तरफ बस जश्न का माहौल बना रहता है. ऐसे में क्या आपने कभी यह सोचा है कि नए साल का जश्न दुनिया भर में 1 जनवरी (January 1) को ही क्यों मनाया जाता है. अगर नहीं सोचा है तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके पीछे का कारण.
नया साल 1 जनवरी को मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं, एक जनवरी से शुरू होनेवाले कैलेंडर को ग्रिगोरियन कलेंडर (Gregorian calendar) कहा जाता है. इस कैलेंडर की शुरुआत ईसाईयों ने क्रिसमस की तारीख निश्चित करने के लिए की थी. क्योंकि ग्रिगोरियन कैलेंडर से पहले 10 महीनों वाला रूस का जुलियन कैलेंडर इस्तेमाल में था, लेकिन इसमें क्रिसमस की तारीख फिक्स नहीं थी और कई गलतियां भी थीं.
क्रिसमस ईसाईयों का खास त्योहार है इस दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था. उन्होंने लोगों की भलाई के लिए अपनी जान दे दी. इसलिए नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने एक नया कैलेंडर प्रस्तावित किया. रूस के जुलियन कैलेंडर में काफी सुधार भी किए और इसे राजकीय आदेशानुसार औपचारिक रूप से अपना लिया गया.
इस कैलेंडर को अपनाने का आदेश पोप ग्रिगोरी ने दिया था, इसलिए इस कैलेंडर का नाम ग्रिगोरियन कैलेंडर पड़ गया. हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, पारसी इन सभी के कैलेंडर के अनुसार नया साला आता है. लेकिन दुनिया भर में ग्रिगोरियन कैलेंडर बहुत मशहूर है. इसलिए 1 जनवरी को नया साल मनाया जाता है.