National Press Day 2019: वर्तमान में पत्रकारिता (Journalism) का क्षेत्र बहुत व्यापक हो चुका है. जन-जन तक सूचनात्मक, शिक्षाप्रद और मनोरंजनात्मक संदेश पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है. इस बात से तो हर कोई वाकिफ है कि पत्रकारिता तथ्यों पर आधारित होती है, लेकिन तथ्यों को तोड़-मरोड़कर, बढ़ा-चढ़ाकर या उसे घटाकर, सनसनी बनाकर लोगों तक पहुंचाने की प्रवृत्ति आज पत्रकारिता में बहुत ज्यादा बढ़ने लगी है. प्रेस की स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए ही हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस (National Press Day) मनाया जाता है. यह दिवस एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की मौजूदगी का प्रतीक है. विश्व में आज करीब 50 देशों में प्रेस परिषद या मीडिया परिषद मौजूद हैं.
राष्ट्रीय प्रेस दिवस का इतिहास
पहले प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और पत्रकारिता में उच्च आदर्श को बरकरार रखने के मकसद से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी. इसके बाद 4 जुलाई 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई, जिसमें 16 नवंबर 1966 से विधिवत रूप से अपना कार्य करना शुरू कर दिया. तब से हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जा रहा है.
क्या है इस दिवस का उद्देश्य?
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पत्रकारों को सशक्त बनाने के मकसद से खुद को फिर से समर्पित करने का अवसर देता है. दरअसल, आजकल अखबारों और समाचार चैनलों में दिखाई जानेवाली खबरों में पक्षधरता और असंतुलन अक्सर देखने को मिलता है. इससे पत्रकारिता में एक अस्वस्थ्यकर प्रवृत्ति विकसित होने लगी है. ज्ञात हो कि समाचार विचारों की जननी होती है, इसलिए समाचारों पर विचारों का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन विचारों पर आधारित समाचार पत्रकारिता के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है. यह भी पढ़ें: National Doctors' Day 2019: भारत में 1 जुलाई को क्यों मनाया जाता है डॉक्टर्स डे, जानिए इस दिवस का इतिहास और महत्व
गौरतलब है कि पत्रकारिता आजादी से पहले एक मिशन हुआ करती थी. उस दौरान पत्रकारिता अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जन-जन को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण हथियार हुआ करती थी. मीडिया को समाज का दर्पण माना जाता है. प्रेस समाज की हूबहू तस्वीर समाज के सामने पेश करने का काम करता है, लेकिन यही मीडिया कभी-कभी समाज की उल्टी, अवास्तविक, काल्पनिक और विकृत तस्वीरें भी समाज के सामने पेश कर देता है. भारतीय प्रेस परिषद ने अपनी रिपोर्ट में भी कहा है कि भारत में प्रेस ने ज्यादा गलतियां की हैं और प्रेस के खिलाफ अधिक शिकायतें भी दर्ज हुई हैं.