Narali Purnima 2019: सावन की नारियली पूर्णिमा का है खास महत्व, अलग-अलग नामों से मनाया जाता है यह त्योहार, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास में आनेवाली पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा, श्रावणी पूर्णिमा और नारियली पूर्णिमा कहते हैं. सावन महीने की नारियली पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया जाता है. इस पर्व को भारत में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. विधि-विधान से पूजा और व्रत करने पर साल भर किए जाने वाले पूर्णिमा के व्रतों का फल प्राप्त होता है.
Sawan Purnima 2019: हर साल सावन महीने की पूर्णिमा (Shravan Purnima) को नारियली पूर्णिमा (Narali Purnima) का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व को देशभर में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. महाराष्ट्र में रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के त्योहार को नारियल पूर्णिमा और श्रावणी पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है. इस दिन से मछुआरे अपना काम शुरु करते हैं और अपनी बोट को समुद्र में उतारने से पहले वरुण देव की पूजा करते हैं. इसके साथ ही समुद्र में नारियल अर्पित करते हैं, ताकि समुद्र में कोई बाधा न आए. जल के देवता को प्रसन्न करने के लिए इस दिन मछुआरों के अलावा दूसरे लोग भी समुद्र में नारियल (Coconut) अर्पित करते हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास में आनेवाली पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा, श्रावणी पूर्णिमा और नारियली पूर्णिमा कहते हैं. इसी दिन देश भर में भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाता है. मध्य भारत और उत्तर भारत में इसे कजरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन स्नान, तप, दान, उपनयन संस्कार का विशेष महत्व बताया जाता है. इसके अलावा चंद्रदोष से मुक्ति पाने के लिए श्रावण पूर्णिमा की तिथि को श्रेष्ठ माना जाता है.
नारियली पूर्णिमा तिथि-
इस बार नारियली पूर्णिमा 15 अगस्त को मनाया जाएगा, क्योंकि पूर्णिमा की सूर्योदय तिथि इसी दिन मिल रही है. हालांकि सूर्योदय से पहले ही भद्रा समाप्त होने की वजह से इस पूर्णिमा को बेहद शुभ माना जा रहा है. यह भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2019 Messages: इन शानदार Wallpapers, WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, Wishes, GIF, Shayaris को भेजकर अपने भाई या बहन से कहें हैप्पी रक्षाबंधन
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 14 अगस्त 2019 को दोपहर 15:45 बजे.
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 15 अगस्त 2019 शाम 17:59 बजे.
सावन पूर्णिमा का महत्व-
सावन पूर्णिमा की अपनी एक अलग विशेषता है. इस दिन उत्तर भारत के अलावा देश के अधिकांश हिस्सों में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. जबकि यह तिथि दक्षिण भारत में नारियली और अवनी अवित्तम के रूप में मनाई जाती है. मध्य भारत में इसे कजरी पूनम और गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देश के कुछ हिस्सों में यज्ञोपवीत पूजन और उपनयन संस्कार का भी विधान है. इसके अलावा जप-तप, दान-दक्षिणा के लिए इस तिथि को श्रेष्ठ माना जाता है. इसी दिन अमरनाथ की पवित्र यात्रा का समापन होता है और इसी दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करके कांवड़ यात्रा संपन्न होती है.
सावन पूर्णिमा पर क्या करें?
सावन महीने की पूर्णिमा को देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है, इसलिए विभिन्न पर्वों के अनुसार पूजा की विधियां भी अलग-अलग होती हैं. यह भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2019 Mehndi Designs: रक्षाबंधन के पर्व पर अपने हाथों में इन आसान तरीकों से बनाएं खूबसूरत मेहंदी डिजाइन, देखें तस्वीरें और वीडियो
- इस दिन रक्षाबंधन मनाने की परंपरा है, इसलिए देवी-देवताओं का पूजन कर उन्हें रक्षासूत्र बांधना चाहिए.
- इस दिन गाय को चारा, मछलियों को आटे की गोलियां और चीटियों को चीनी व आटे का मिश्रण खिलाना चाहिए.
- अगर आप चंद्रदोष से पीड़ित हैं तो आपको इस दोष से छुटाकारा पाने के लिए ज्योतिषीय उपाय करने चाहिए.
- इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है. इससे जीवन में सुख, समृद्धि और धन की वृद्धि होती है.
- सावन महीना भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए सावन पूर्णिमा पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिए.
- इस दिन पितरो के लिए तर्पण करना चाहिए, इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मान्यता है कि इस दिन जो भी विधि-विधान से व्रत रखता है और उसका पालन करता है उसके पापों का नाश होता है. इसके साथ ही सावन महीने की पूर्णमा का व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा करने पर साल भर के व्रतों के समान फल प्राप्त होता है.