Makar Sankranti 2019: देशभर में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्योहार, जानें इससे जुड़ी दिलचस्प परंपराएं
मकर संक्रांति से दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं. दरअसल, जनवरी महीने में नई फसल का आगमन होता है और किसान फसल की कटाई के बाद इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं. हालांकि भारत में इस पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है.
Makar Sankranti 2019: नए साल का पहला त्योहार मकर संक्रांति (Makar Sankranti) इस बार 15 जनवरी (15th January) को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में इस पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बताया जाता है. माना जाता है कि इस दिन सूर्य (Surya) का उत्तरायण होता है और वे इस दिन मकर राशि में प्रवेश करते हैं. सूर्य देव को प्रकृति का कारक माना जाता है, इसलिए इस दिन सूर्य देव की उपासना की जाती है. मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान का बहुत महत्व बताया जाता है. इस दिन कई जगहों पर पतंग उड़ाई जाती है, खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और गुड़-तिल व गजक का प्रसाद भी बांटा जाता है.
मकर संक्रांति से दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं. दरअसल, जनवरी महीने में नई फसल का आगमन होता है और किसान फसल की कटाई के बाद इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं. हालांकि भारत में इस पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है और इससे जुड़ी कई अलग-अलग परंपराएं भी प्रचलित हैं.
खिचड़ी
उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रांति का त्योहार 'खिचड़ी' के नाम से मनाया जाता है. यूपी और बिहार के कई हिस्सों में इस दिन खिचड़ी बनाई जाती है, जबकि कई जगहों पर दही-चूड़ा और तिल के लड्डू बनाए व खाए जाते हैं.
माघ/भोगली बिहू
असम में मकर संक्रांति के पर्व को माघ बिहू यानी भोगाली बिहू पर्व मनाया जाता है. हालांकि यहां यह पर्व संक्रांति के एक दिन पहले से ही मनाया जाता है. इस दौरान असम में तिल, चावल, नारियल और गन्ने की अच्छी फसल होती है, इसलिए इस दिन यहां तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और खिलाए जाते हैं. यह भी पढ़ें: Makar Sankranti 2019: इस साल 14 नहीं 15 जनवरी को मनाया जाएगा मकर संक्रांति का पर्व, जानिए इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
लोहड़ी
पंजाब में जनवरी महीने में फसलों की कटाई के बाद 13 जनवरी को धूमधाम से लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. इस मौके पर शाम के समय होलिका जलाई जाती है और तिल,गुड़ व मक्का का भोग अग्नि को लगाया जाता है. पंजाब में लोग धूमधाम से फसलों की कटाई के इस पर्व को मनाते हैं.
वैशाखी
पंजाब में सिख समुदाय के लोग मकर संक्रांति के पर्व को वैशाखी के रूप में मनाते हैं. कहा जाता है कि इस दौरान पंजाब में गेंहू की फसल कटने लगती है और किसानों का घर खुशियों से भर जाता है. इस मौके पर पंजाब में मेले लगते हैं और लोग नाच-गाकर इस पर्व का जश्न मनाते हैं.
उत्तरायण
गुजरात में नई फसल और ऋतु के आगमन की खुशी में मकर संक्रांति के पर्व को उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है. इस मौके पर यहां पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है और पतंग उड़ाई जाती है. इस दौरान यहां के लोग उत्तरायण पर्व पर व्रत रखते हैं और तिल व मूंगफली दाने की चिक्की बनाकर खाते हैं.
पोंगल
दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में मकर संक्रांति के पर्व को पोंगल के नाम से जाना जाता है. यहां धान की फसल कटने के बाद लोग अपनी खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल का त्योहार मनाते हैं. तीन दिनों तक चलने वाला यह पर्व सूर्य व इंद्र देव को समर्पित होता है. यहां पोंगल पर्व के पहले दिन कूड़ा-कचरा जलाया जाता है, दूसरे दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जबकि तीसरे दिन पशु धन की पूजा की जाती है. यह भी पढ़ें: Makar Sankranti 2019: जानिए इस बार 15 जनवरी को क्यों मनाई जाएगी मकर संक्रांति
मकर संक्रांति से जुड़ी परंपराएं
मकर संक्रांति के पर्व को देशभर में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है और इससे जुड़ी परंपराएं भी एक दूसरे से भिन्न हैं. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के मौके पर मीठे पकवानों को खाने और खिलाने से रिश्तों में आई कड़वाहट दूर होती है.
कई स्थानों पर इस दिन तिल और गुड़ से बनी मिठाई बांटी जाती है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के मौके पर सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर पहुंचते हैं, इसलिए इस दिन गुड़ और तिल बांटने की परंपरा है.
गुजरात और मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में मकर संक्रांति के पर्व के दौरान पतंग उड़ाने की परंपरा है, इसलिए इस मौके पर यहां पतंग उड़ाए जाते हैं. पतंग बाजी के दौरान पूरा आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से गुलजार हो जाता है.