Mahavir Jayanti 2024 Messages in Hindi: आज (21 अप्रैल 2024) जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है, जिसे महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. आपको बता दें कि भगवान महावीर (Bhagwan Mahavir) ने दुनिया को सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य का ज्ञान दिया था, जिसे जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत के तौर पर जाना जाता है. महावीर जी ने मानव को प्रेम और मित्रता का संदेश दिया. इसके साथ ही उन्होंने इंसानों को मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति, कीड़े-मकौड़े, पशु और पक्षियों के लिए भी मित्रता और अहिंसा का भाव रखने की शिक्षा दी. जैन धर्म के अनुयायी भगवान महावीर की जयंती को धूमधाम से मनाते हैं. इस अवसर पर जैन धर्म के लोग प्रभातफेरी निकालते हैं, फिर भव्य जुलूस के साथ पालकी यात्रा निकाली जाती है.
हिंदू पंचाग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती मनाई जाती है. उनका जन्म वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुंडलपुर में हुआ था, इसलिए चैत्र शुक्ल के 13वें दिन महावीर भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसके साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में इस अवसर पर आप भी इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स, एसएमएस के जरिए प्रियजनों को हैप्पी महावीर जयंती कह सकते हैं.
1- जंग एक भी लड़ी नहीं, फिर भी जग को जीत लिया,
अहिंसा अपरिग्रह, अनेकांत का हमको मंत्र दिया,
उस जगत के तारक महावीर को कोटि-कोटि वंदन,
उनकी राह पर चल कर आओ हम भी तोड़ें भौतिक बंधन.
हैप्पी महावीर जयंती
2- त्याग ना करे, वो पीर नहीं होता,
बरसों की तपस्या का फल है यह,
वरना ऐसे ही कोई महावीर नहीं होता.
आओ महावीर को करें हम सब नमन.
हैप्पी महावीर जयंती
3- तू करता वो है जो तू चाहता है,
पर होता वही है जो मैं चाहता हूं,
इसलिए तू वो कर जो मैं चाहता हूं,
फिर देख होगा वही जो तू चाहता है.
हैप्पी महावीर जयंती
4- नवकार मंत्र ही है महामंत्र,
इससे होता सबका मन निर्मल सुंदर,
रोज शुद्ध मन से करो इसका जप,
नवकार मंत्र ही है महामंत्र...
हैप्पी महावीर जयंती
5- छोड़ो सारे वैर-विरोध,
कभी न मन में लाना क्रोध,
बच्चों यह सब बातें समझना,
अच्छाई के मार्ग पर चलना,
महावीर के वचनों का पालन करना.
हैप्पी महावीर जयंती
भगवान महावीर के पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था, जबकि उन्हें बचपन में वर्धमान कहकर पुकारा जाता था. जैन धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, 30 वर्ष की आयु में भगवान महावीर संसार से विरक्त हो गए थे और उन्होंने राज वैभव को त्यागकर संन्यास ले लिया. संन्यास लेने के बाद वे आत्मकल्याण के मार्ग पर निकल गए, फिर उन्होंने 12 साल तक कठोर तप किया और उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई. अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताने वाले भगवान महावीर को 72 साल की उम्र में पावापुरी में मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.