Mahaparinirvan Diwas 2020 HD Images: महापरिनिर्वाण दिवस पर शेयर करें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के ये हिंदी WhatsApp Stickers, Messages, GIFs और वॉलपेपर्स
महापरिनिर्वाण दिवस 2020 (Photo Credits: File Image)

Mahaparinirvan Diwas 2020 Images: महान समाज सुधारक, विद्वान और भारतीय संविधान के निर्माता (Fatther of Indian Constitution) डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (Dr. Babasaheb Ambedkar) की इस साल 64वीं पुण्यतिथि (64th Death Anniversary) मनाई जा रही है, जिसे महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas) के रूप में मनाया जाता है. उनका निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था. उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के महू नामक गांव में हुआ था. महार जाति में जन्में बाबासाहेब के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था. अपनी माता-पिता की चौदहवीं संतान बाबासाहेब आंबेडकर को निचली जाति का होने के कारण समाज में भेदभाव, छुआ-छूत जैसी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उन्होंने छुआ-छूत, जातिवाद और भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई और उसके खात्मे के लिए कई आंदोलन भी किए. उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, दलितों और समाज के पिछड़े लोगों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया.

डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर ने भारत के संविधान की रचना करने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसलिए उन्हें संविधान का निर्माता कहा जाता है. उनकी 64वीं पुण्यतिथि यानी महापरिनिर्वाण दिवस पर आप उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इन हिंदी वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, इमेजेस, कोट्स, वॉलपेपर्स और एसएमएस को अपने दोस्तों-रिश्तेदारों और प्रियजनों के साथ शेयर कर सकते हैं.

1- महापरिनिर्वाण दिवस 2020

महापरिनिर्वाण दिवस 2020 (Photo Credits: File Image)

2- महापरिनिर्वाण दिवस 2020

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3- महापरिनिर्वाण दिवस 2020

महापरिनिर्वाण दिवस 2020 (Photo Credits: File Image)

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4- महापरिनिर्वाण दिवस 2020

महापरिनिर्वाण दिवस 2020 (Photo Credits: File Image)

5- महापरिनिर्वाण दिवस 2020

महापरिनिर्वाण दिवस 2020 (Photo Credits: File Image)

गौरतलब है कि 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने श्रीलंका के महान बौद्ध भिक्षु महत्थवीर चंद्रमणी से पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को स्वीकार करते हुए बौद्ध धर्म को अपना लिया था. उन्होंने 1956 में अपनी आखिरी बुक बौद्ध धर्म पर लिखी, जिसका नाम था 'द बुद्ध एंड हिज धम्म'. यह किताब उनकी मृत्यु के बाद साल 1957 में प्रकाशित हुई थी. उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार मुंबई में बौद्ध धर्म के रीति-रिवाज के अनुसार किया गया था और उस समय डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को साक्षी मानकर करीब 10 लाख समर्थकों ने बौद्ध धर्म को अपनाया था.