Lal Bahadur Shastri Jayanti 2021 Quotes: अंग्रेजी हुकूमत से आजाद होने के बाद स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू बने और उनके बाद लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने. आज यानी 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री की 117वीं जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) मनाई जा रही है. लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद और माता का नाम रामदुलारी देवी था. अपना जीवन लोगों की सेवा में समर्पित करने वाले शास्त्री जी ने अपने अदम्य साहस और दृढता का परिचय देते हुए साल 1965 के युद्ध में पाकिस्तान को भारत के सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. भले ही उन्हें अपने जीवन में कई चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन कहा जाता है कि बचपन से ही वे बहुत दृढ संकल्प वाले व्यक्ति थे और जो वो एक बार ठान लेते थे उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेते थे.
'जय जवान जय किसान' का नारा देने वाले शास्त्री जी ने न सिर्फ देश की निस्वार्थ भाव से सेवा की बल्कि उन्होंने आजादी की लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाई. सादगी भरा जीवन जीने वाले शास्त्री जी के विचार बेहद असाधारण और महान थे, जो आज भी लोगों के दिलों में देशभक्ति का अलख जगाते हैं. लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर आप उनके इन प्रेरणादायी विचारों को अपनों संग शेयर कर सकते हैं.
1- जैसा मैं दिखता हूं, उतना साधारण मैं हूं नहीं.
2- जो शासन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं. अंतत: जनता ही मुखिया होती है.
3- देश की ताकत और स्थिरता के लिए सबसे जरूरी काम है लोगों में एकता और एकजुटता स्थापित करना.
4- आजादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नहीं है, इसके लिए पूरे देश को मजबूत होना होगा.
5- लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भी हिंसा व असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता.
6- यदि कोई भी व्यक्ति ऐसा रह गया जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाए तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा.
7- हम खुद की नहीं, बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं.
8- समाज को सच्चा लोकतंत्र कभी भी हिंसा और असत्य से नहीं मिल सकता है.
लाल बहादुर शास्त्री का निधन पाकिस्तान के साथ शांति समझौते के महज 12 घंटे बाद 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में हुआ था. कहा जाता है कि उन्होंने महज 11 साल की उम्र में देश के लिए कुछ करने की ठान ली और 16 साल की उम्र में वे गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़े. उन्होंने 1921 के असहयोग आंदोलन, 1930 की दांडी यात्रा और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आंदोलनों का हिस्सा होने के कारण उन्हें करीब 7 साल तक ब्रिटिश जेल में भी रहना पड़ा था.