Kumbh Mela 2019: मौनी अमावस्या पर स्नान और दान का है विशेष महत्व, जानें इस दिन गौदान करना क्यों होता है जरूरी?

सोमवती अमावस्या यानी मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने के पश्चात दान-धर्म का विशेष प्राविधान हमारे शास्त्रों में दर्ज है. दान देना मानव जाति का सबसे पवित्र कर्तव्य बताया गया है, लेकिन भविष्यपुराण में गौदान, पृथ्वीदान और विद्यादान को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है.

कुंभ मेला 2019 (Kumbh/pixabay

Kumbh Mela 2019: सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) यानी मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर संगम (Sangam) में स्नान करने के पश्चात दान-धर्म का विशेष प्राविधान हमारे शास्त्रों में दर्ज है. दान देना मानव जाति का सबसे पवित्र कर्तव्य बताया गया है. यद्यपि अन्य धर्मों में भी दान का महत्व है. दान का मूल आशय यही है कि इसके बदले में कुछ पाने की इच्छा नहीं हो. यूं तो दानों में भूमि दान, गौदान, तिल दान, स्वर्ण दान, रजत दान, घृत दान, धान्य धान, गुड़ दान, सभी का अपना-अपना महत्व है, लेकिन भविष्यपुराण (BhavisyaPuran)  में गौदान (Gau daan), पृथ्वीदान और विद्यादान को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. यह दुहने, जोतने और जानने से मानव जाति के सात पीढ़ियों का कल्याण हो जाता है. यहां हम गौदान की बात करेंगे.

शास्त्रों के अनुसार, मानव जीवन में गौदान का बहुत महत्व (Importance of Gau daan) है, इसलिए हर मनुष्य को जीवन में एक बार गौदान जरूर करना चाहिए. शास्त्रों में उल्लेखित है कि जो लोग श्रेष्ठ मृत्यु चाहते हैं, उन्हें जीवन में एक बार गौदान जरूर करना चाहिए. विष्णु पुराण के अनुसार जीवन में एक बार गौदान से पितृ को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह भी पढ़ें: Mauni Amavasya 2019: मौनी अमावस्या पर बना है यह दुर्लभ संयोग, जानिए इस दिन मौन रहना और गंगा में डुबकी लगाना क्यों माना जाता है खास

ब्राह्मण को ही गौदान क्यों?

शास्त्रों में गौदान ब्राह्मण विशेष को ही किये जाने का विधान है, लेकिन जिस ब्राह्मण को आप गौदान कर रहे हैं, उसके बारे में आवश्यक जानकारी पहले प्राप्त कर लेना आवश्यक है, वरना गौदान का महत्व नहीं रह जायेगा. गौदान उसी ब्राह्मण को करना चाहिए जो शांत, सहज, सदाचारी हो, यज्ञ करवाने की योग्यता रखता हो, उसके किसी अंग में दोष नहीं हो, पारिवारिक हो और उसकी पत्नी जीवित हो.

गौदान का विधान

चूंकि गाय के सभी अंगों में देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए ब्राह्मण को गौ दान करने से पूर्व गाय का पूरा श्रृंगार करना चाहिए। उसे वस्त्र पहना कर, मस्तष्क पर तिलक लगाकर पूरे विधि विधान से पूजन करना चाहिए. जो ब्राह्मण गौदान कर रहा है, उसे समस्त देवी-देवताओं का आह्वान करने के बाद सोलह उपचारों के साथ गाय का पूजन करनी चाहिए. इसके पश्चात गाय को माला पहनाकर मंत्रोंच्चारण करनी चाहिए. गाय को विदा करने से पूर्व दान करने वाले को सपत्नी गाय को प्रणाम करना चाहिए.

गाय का दान ही क्यों?

अक्सर प्रश्न उठता है कि हमें गाय ही नहीं बल्कि भैंस और बकरियों से भी दूध प्राप्त होता है, ये भी पौष्टिक होते हैं, फिर हम गाय को ही क्यों ज्यादा महत्व देते हैं. शिव पुराण में उल्लेखित है कि गाय के सभी अंगों में देवी-देवताओं का वास होता है। उसकी सींग में ब्रह्मा और विष्णु, सिर में भगवान शंकर, मस्तिष्क पर पार्वती, नथनों में कार्तिकेय, आंखों में सूर्य-चंद्र, नाक में अश्वतर नाग, कानों में अश्विनी कुमार, दांतों में वासुदेव, जिह्वा पर वरुण, गले में देवराज इंद्र, खुरों में गंधर्व, पेट में पृथ्वी, चारों थनों में चारों समुद्र तथा गौमूत्र में गंगा तथा गोबर में यमुना का वास होता है. यह भी पढ़ें: Kumbh Mela 2019: जानिए कौन हैं आदि शंकराचार्य और कैसे हुई शंकराचार्यों की उत्पत्ति ?

गौदान का महत्व

हिंदू धर्मशास्त्रों में वर्णित है कि हर हिंदू को जीवित रहते अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार दान करते रहना चाहिए। इससे परोपकार तो होता ही है साथ ही आपकी कुण्डली के उग्र ग्रह भी शांत होते हैं. दान करने से विचारधाराओं में सकारातत्मकता आती है.

Share Now

\