Kartik Month 2020: आज से शुरु हो रहा है कार्तिक मास, इस माह तुलसी पूजन करने से बरसती है लक्ष्मी जी की विशेष कृपा; जानें कैसे करें तुलसी पूजा

आश्विन मास की समाप्ति के साथ ही कार्तिक मास प्रारंभ हो जाता है. इस वर्ष कार्तिक महीने की शुरुआत आज यानी पहली नवंबर से हो रही है. मान्यता है कि इस पूरे माह श्रीहरि यानी विष्णु भगवान जल में निवास करते हैं.

तुलसी पूजन (Photo Credits: Facebook)

Kartik Month 2020: आश्विन मास की समाप्ति के साथ ही कार्तिक मास प्रारंभ हो जाता है. इस वर्ष कार्तिक महीने की शुरुआत आज यानी पहली नवंबर से हो रही है. मान्यता है कि इस पूरे माह श्रीहरि यानी विष्णु भगवान(Lord Vishnu)  जल में निवास करते हैं. इसलिए पूरे कार्तिक मास स्नान-दान का विशेष महत्व बताया जाता है. ज्योतिषियों का मानना है कि कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व साथ स्नान-दान एवं सूर्य को जल अर्पित करने से जीवन की सारी आर्थिक एवं पारिवारिक समस्याएं दूर हो जाती हैं और मृत्योपरांत बैकुण्ठधाम की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास में पूरे महीने तुलसी-पूजा का भी विशेष महत्व है. इस पूरे मास सायंकाल के समय तुलसी के सामने शुद्ध घी अथवा तिल के तेल का दीप नियमित रूप से प्रज्जवलित करना चाहिए.

कार्तिक मास और तुलसी-पूजा का महात्म्य

सनातन धर्म में जहां तुलसी जी का आध्यात्मिक महत्व होता है, वहीं आयुर्वेद चिकित्सा में तुलसी की महत्ता सबसे ज्यादा मानी जाती है. मान्यता है कि तुलसी में साक्षात लक्ष्मी बसती हैं. इसलिए इस माह तुलसी पूजा करके लक्ष्मी जी की भी पूजा हो जाती है. ज्योतिषियों का कहना है कि कार्तिक मास में तुलसी जी के करीब दीप प्रज्जवलित करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अक्षय लक्ष्मी का प्रसाद देती हैं. कार्तिक मास की महत्ता के बारे में स्वयं ब्रह्मा जी माना था कि इससे पवित्र मास कोई दूसरा नहीं है. पौराणिक ग्रंथों में भी उल्लेखित है कि कार्तिक मास अर्थ, धर्म, काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है. इस पूरे मास तुलसी जी की पूजा और उनके सामने प्रतिदिन शाम को धूप-दीप प्रज्जवलित करने से जातक के सारे कष्ट एवं पाप मिट जाते हैं, उसे सारे सुख एवं संपदा की प्राप्ति होती है.

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ऐसे करें तुलसी पूजन

कार्तिक मास के पहले दिन जिस गमले में तुलसी जी का पौधा लगा है, उसे साफ कर अलंकृत करें और उस पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. अब तुलसी जी के चारों कोनों पर गन्ने की टहनी से घेरकर उस पर तोरण सजा दें. तोरण के ऊपरी हिस्से पर सुहाग का प्रतीक चुनरी अथवा चुन्नी चढाएं. अब तुलसी जी के सामने (आपका मुख पूर्व अथवा पश्चिम की ओर हो) रंगोली सजाएं. रंगोली में शंख, चक्र, कमल और गौमाता के पांव भी रेखांकित करें. अगर संभव हो तो तुलसी के बगल में आंवले का भी पौधा रख लें. मान्यता है कि आंवले के पेड़ में साक्षात विष्णुजी बसते हैं. अब पूरे माह सायंकाल के समय तुलसी जी के सामने धूप-दीप चढाएं. पूजा करते हुए निम्न मंत्र का जाप भी अवश्य करें.

ऐसा ना करें

* जिस तुलसी के पौधे की पूजा करते हैं, पूरे माह उस पौधे से तुलसी-पत्र नहीं तोड़ना चाहिए.

* पूरे कार्तिक मास तक बिना स्नान किये तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए.

* शाम के बाद तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए.

* विष्णु जी अथवा लक्ष्मी जी की पूजा करते समय तुलसी अवश्य चढाना चाहिए.

* कार्तिक मास में तुलसी जी की पूजा करने वाले जातकों को पूरे मास लहसुन, प्याज अथवा सामिष भोजन से दूर रहना चाहिए.

* तुलसी जी की पूजा स्वच्छ वस्त्र पहन कर ही करना चाहिए

श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा

अब तुलसी जी एवं आंवले के पौधे पर सिंदूर,रोली,चंदन, अक्षत और नैवेद्य चढ़ाएं. तुलसी जी को वस्‍त्र चढ़ाने के बाद उनके चारों ओर दीपदान करें. तुलसी जी को जल अर्पित करते समय निम्न श्लोक का जाप करें.

महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी

आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

कार्तिक मास के अंतिम दिन तुलसी जी का विवाह भी करते हैं. मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से घर में सुख-समृद्धि आती है, और नकारात्मक शक्तियां घर के इर्द-गिर्द नहीं आ पातीं.

 

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