Kansa Vadh 2020: भगवान श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस का क्यों किया था वध, जानें अनुष्ठान और महत्व
भगवान श्रीकृष्ण (Photo Credits: Pixabay)

'कंस वध' बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस विशेष दिन पर भगवान कृष्ण ने 'कंस का वध कर' भारत के प्राथमिक शासक के रूप में राजा उग्रसेन को गद्दी पर बैठाया. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार शुक्ल पक्ष के दौरान कार्तिक माह में दसवें दिन (दशमी तिथि) को मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह दिन नवंबर के महीने में मनाया जाता है. हिंदू शास्त्रों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, कंस को मथुरा के क्षेत्रों में एक दुष्ट शासक के रूप में मान्यता दी गई है. भगवान विष्णु ने अपने आठवें अवतार कृष्ण के रूप में जन्म लिया और कंस का वध कर डाला और अपने माता, पिता और दादा को जेल से रिहा कराया. 'कंस वध ’का त्यौहार ब्रह्मांड में बुराई की समाप्ति और अच्छाई की बहाली का प्रतीक है. इसे अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है. उत्तर प्रदेश और मथुरा में इस दिन को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: Tulsi Vivah 2020: घर में तुलसी होना क्यों माना जाता है शुभ, जानें क्या है इसके फायदे?

कंस वध के अनुष्ठान क्या हैं?

  • कंस वध की पूर्व संध्या पर भक्त राधारानी और भगवान कृष्ण की प्रार्थना करते हैं. देवताओं को प्रसन्न करने के लिए इस दिन कई प्रकार की मिठाइयां और कई अन्य व्यंजनों को तैयार किया जाता है.
  • इस दिन कंस की एक प्रतिमा तैयार की जाती है और फिर भक्त बाद में इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में जलाते हैं. यह दर्शाता है कि बुराई कुछ समय के लिए ही होती है और अंत में सच्चाई और अच्छाई हमेशा बनी रहती है.
  • कंस वध की पूर्व संध्या पर एक बड़ा जुलूस निकाला जाता है जहां सैकड़ों अनुयायी पवित्र मंत्र 'हरे राम हरे कृष्ण' का उच्चारण करते हैं.
  • मथुरा में इस दिन हर नुक्कड़ पर नृत्य, संगीत, नाटक जैसे कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. 'कंस वध लीला' नामक एक प्रसिद्ध ड्रामा किया जाता है और मथुरा के सभी नागरिकों द्वारा इसका आनंद लिया जाता है.

कंस वध कथा:

भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए 'कंस वध' का धार्मिक और नैतिक महत्व का है. यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक है. मान्यताओं के अनुसार कंस ने अपने शासन काल के दौरान कई बुरे काम किए और कई अधर्म किए. आकाशवाणी के दौरान जब उसे यह पता चला कि उसकी बहन देवकी के आठवें पुत्र द्वारा उसका वध तय है, तब उसने अपनी बहन देवकी के साथ उनके पति को भी बंधक बनाकर जेल में डाल दिया और जन्म के बाद उनके सभी बच्चों की हत्या कर दी. लेकिन कंस के सभी बुरे कामों और प्रयासों के बावजूद भगवान कृष्ण, देवकी के 8वें पुत्र बच गए और उन्हें यशोदा और नंद द्वारा वृंदावन में लाया गया और वहीं उनका पालन पोषण हुआ.

जब कंस को उनके बारे में पता चला तो उसने श्री कृष्ण को मारने के कई प्रयास किए लेकिन सभी व्यर्थ गए. आखिर में कंस के पापों का घड़ा भर जाने के बाद भगवान कृष्ण ने उसका वध कर दिया और अपने दादा और माता-पिता को रिहा कर दिया. कंश के वध के बाद राजा उग्रसेन को मथुरा के राजा के रूप में नियुक्त किया गया. उस समय से इस दिन को 'कंस वध’ के रूप में मनाया जाता है. यह दिन दुनिया से अच्छाई के अस्तित्व और बुराई को हटाने के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.