Kamada Ekadashi 2022 Wishes: शुभ कामदा एकादशी! शेयर करें श्रीहरि के ये WhatsApp Messages, GIF Greetings, HD Images और Quotes
कामदा एकादशी के दिन फल, फूल, दूध, तिल, पंचामृत इत्यादि से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस व्रत की कथा सुनी या पढ़ी जाती है. इस खास अवसर पर लोग एक-दूसरे को बधाई भी देते हैं. ऐसे में आप भी श्रीहरि के इन शानदार विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेसे और कोट्स को भेजकर कामदा एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Kamada Ekadashi 2022 Wishes: आज यानी 12 अप्रैल 2022 को हिंदू नव वर्ष की पहली एकादशी मनाई जा रही है, जिसे कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी मनाई जाती है. इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसके साथ ही समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि पापों से मुक्ति पाने के लिए एकादशी के व्रत को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और कामदा एकादशी व्रत के प्रभाव से सभी पापों का नाश होता है, साथ ही प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है.
कामदा एकादशी के दिन फल, फूल, दूध, तिल, पंचामृत इत्यादि से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस व्रत की कथा सुनी या पढ़ी जाती है. इस खास अवसर पर लोग एक-दूसरे को बधाई भी देते हैं. ऐसे में आप भी श्रीहरि के इन शानदार विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेसे और कोट्स को भेजकर कामदा एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- आपको और आपके परिवार को,
कामदा एकादशी की शुभकामनाएं
2- विष्णु जिनका नाम है,
बैकुंठ जिनका धाम है,
जगत के उस पालनहार को,
हमारा शत-शत प्रणाम है.
कामदा एकादशी की शुभकामनाएं
3- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
शुभ कामदा एकादशी
4- ॐ नमो नारायणाय नम:
कामदा एकादशी की हार्दिक बधाई
5- ॐ श्री विष्णवे नम:
कामदा एकादशी की शुभकामनाएं
कहा जाता है कि कामदा एकादशी के व्रत से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसके अलावा इस व्रत के प्रभाव से व्रतियों को काम, क्रोध, लोभ और मोह इत्यादि से मुक्ति मिल जाती है. इसके साथ ही मृत्यु के पश्चात बैकुंठ में स्थान प्राप्त होता है. इस व्रत को करने के बाद द्वादशी तिथि को ब्राह्मण को भोजन कराने और दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.