Happy Kajari Teej 2019: हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (Kajari Teej) मनाया जाता है. अखंड सौभाग्य का पर्व कजरी तीज इस बार 18 अगस्त 2019 (रविवार) को पड़ रहा है. इस दिन सुहागन महिलाएं (Married Women) अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की कामना से व्रत करती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां अच्छे वर की कामना कर इस व्रत को करती हैं. यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) करके भगवान शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती (Maa Parvati) के कजरी स्वरूप की पूजा करती हैं. शाम में चंद्रमा के उदय होने के बाद उन्हें अर्घ्य देती हैं.
भारत के कई क्षेत्रों में कजरी तीज को कजली तीज भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान शिव और माता पार्वती महिलाओं की सभी इच्छाओं को पूरी करते हैं. चलिए जानते हैं कजरी तीज का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा.
कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज के दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. अपने हाथों और पैरों में मेहंदी रचाती हैं. इस दिन कई जगहों पर मां गौरी की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है तो वहीं कई जगहों पर कजरी तीज से एक दिन पहले रात्रि जागरण किया जाता है. इस दिन घरों में झूला डाला जाता है और महिलाएं झूला झूलती हैं. मान्यता है कि इस दिन सज-संवरकर भगवान शिव और देवी पार्वती के कजली स्वरूप की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह भी पढ़ें: Hariyali Teej 2019 Mehandi Designs: हरियाली तीज पर हाथों में लगाएं अपने पिया के नाम की मेहंदी, ट्राई करें ये आकर्षक डिजाइन
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार कजरी तीज 18 अगस्त 2019, रविवार को है. कजरी तीज व्रत के लिए पूरे दिन पूजा का शुभ मुहूर्त है. भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 17 अगस्त की रात 10.48 बजे से शुरू हो रही है और 18 अगस्त की आधी रात 1.13 बजे यह तिथि समाप्त होगी.
इस विधि से करें पूजा
- सुबह तड़के उठकर स्नान आदि करके, नए कपड़े पहनकर पूजा की तैयारी करें.
- शुद्ध मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं या फिर बाजार से मूर्ति खरीदकर लाएं.
- एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर शिव-पार्वती की मूर्ति को स्थापित करें.
- इसके बाद माता गौरी को सुहाग की सभी सामग्रियां अर्पित कर पूजन करें.
- फिर भगवान शिव का बेलपत्र, दूध, गंगाजल, धतूरा, भांग आदि से पूजन करें.
- इसके पश्चात धूप-दीप, नैवेद्य अर्पित करके कजरी तीज की कथा पढ़ें या सुनें.
- कई क्षेत्रों में इस दिन नीमड़ी माता की कथा सुनी जाती है और उनकी विशेष पूजा की जाती है.
- नीमड़ी माता की पूजा से पहले गोबर व मिट्टी से तालाब जैसी आकृति बनाई जाती है.
- उसके पास नीम की टहनी रोपी जाती है और तालाब में कच्चा दूध व जल डाला जाता है.
- फिर पुष्प, हल्दी, अक्षत, चावल और धूप-दीप से नीमड़ी माता का पूजन किया जाता है.
- कजरी तीज पर शाम के समय नीमड़ी माता की पूजा के बाद चांद को अर्घ्य देने की परंपरा है.
कजरी तीज व्रत कथा
कजरी तीज की कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक गांव में गरीब ब्राह्मण रहता था. उसके पास दिन में दो समय भोजन करने के लिए भी पैसे नहीं होते थे. ऐसे में एक दिन उसकी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखने का संकल्प लिया और अपने ब्राह्मण पति से चने का सत्तू लाने के लिए कहा. ब्राह्मण के पास पैसे नहीं थे, इसलिए वो यह सोचकर परेशान हो गया कि आखिर वह सत्तू कहां से लेकर आए. यह भी पढ़ें: Hariyali Teej 2019 Recipe: हरियाली तीज के पर्व को खास बना देंगे ये लजीज पकवान, जानें इन 5 व्यंजनों को बनाने की आसान विधि
काफी सोच-विचार कर ब्राह्मण एक साहुकार की दुकान पर सत्तू लेने के लिए पहुंचा. दुकान पहुंचने के बाद उसने साहुकार को सोते देखा तो सवा किलो सत्तू लेकर वहां से निकलने लगा. इतने में साहुकार की आंख खुल गई और ब्राह्मण को सत्तू लेकर जाते देख वह चोर-चोर कहकर चिल्लाने लगा. इसके बाद ब्राह्मण ने कहा कि वो चोर नहीं है. उसकी पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा है और उसकी पूजा के लिए सत्तू चाहिए, लेकिन उसे खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं है. साहुकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली, लेकिन उसके पास सवा किलो सत्तू के अलावा और कुछ भी नहीं था.
ब्राह्मण की बात सुनने के बाद साहुकार भावुक हो उठा और उसने ब्राह्मण से कहा कि अब से वो ब्राह्मण की पत्नी को अपनी बहन मानेगा. इतना कहने के बाद उस साहुकार ने ब्राह्मण को सत्तू, पैसे और पूजन सामग्री देकर विदा किया. कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.