Jivitputrika Vrat 2021 Messages In Hindi: संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और उसकी अच्छी सेहत की कामना से महिलाएं हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत करती हैं. इस व्रत को बेहद कठिन माना जाता है. जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) को देश के अलग-अलग हिस्सों में जिउतिया, जितिया, जीवित्पुत्रिका, जीमूतवाहन व्रत जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. इस साल यह व्रत 28 सितंबर से शुरु होकर 30 सितंबर तक चलेगा. दरअसल, व्रत के एक दिन पहले महिलाएं नहा कर सेंधा नमक से बिना लहसुन और प्याज के भोजन बनाती हैं. इस भोजन को खाने के बाद अगले दिन निर्जल व्रत किया जाता है. यह व्रत सप्तमी से नवमी तिथि तक चलता है.
जीवित्पुत्रिका (Jivitputrika) यानी जितिया व्रत (Jitiya Vrat) का पर्व महिलाओं के लिए बेहद खास होता है, क्योंकि वो अपनी संतान की दीर्घायु और अच्छी सेहत की कामना से इस व्रत को करती हैं. इस खास अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस, कोट्स को अपने दोस्तों-रिश्तेदारों और करीबियों संग शेयर कर इस पर्व की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- हो लंबी आयु मेरे लाल,
बढ़ाओ परिवार का मान,
मां रख रही है व्रत,
तुम करो कुल का गुणगाण.
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं
2- जीवित्पुत्रिका व्रत है,
गवाह ममत्व का,
मां को नमन जो,
प्रतिरूप है ईश्वर का,
नमन, बारंबार नमन.
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं
3- चिराग हो तुम घर का,
राग हो तुम मन का,
रहो सलामत युगों-युगों तक,
फैलाओ यश कीर्ति, धरती से फलक तक.
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं
4- तुम सलामत रहो, ये है मां की अरदास,
तुम्हें भी करनी होगी पूरी मां की आस,
बढ़ते जाना आगे प्रगति पथ पर,
शर्मिंदा न करना किसी भी कीमत पर
देश के आना काम, यही है मां का पैगाम.
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं
5- आज के दिन आपको,
जितिया व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं,
आप स्वस्थ और सुखी रहें,
जीवन में सभी संकटों से आपकी रक्षा हो.
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं
जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाए से होती है. नहाय खाय के अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें. इस दौरान कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इसके अलावा इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की प्रतिमा बनाई जाती है. फिर उनके माथे पर सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजा के दौरान होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है और अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है.