Jitiya Vrat 2022 Wishes in Hindi: संतान की लंबी उम्र, उसकी अच्छी सेहत और खुशहाल जीवन की कामना को लेकर माताएं साल भर में कई व्रत करती हैं. उन्हीं व्रतों में जीवित्पुत्रिका (Jivitputrika Vrat), जिउतिया (Jiutiya Vrat) या जितिया व्रत (Jitiya Vrat) का विशेष महत्व बताया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी माताएं (Mothers) इस व्रत को करती हैं, उनकी संतानों को दीर्घायु और खुशहाल जीवन का वरदान मिलता है. इतना ही नहीं उनके जीवन में आने वाले दुख और तकलीफों से भी निजात मिलती है. इसके अलावा इस व्रत को लेकर ऐसी मान्यता भी है कि जो भी महिला व्रत रखकर विधिपूर्वक पूजन करके जितिया व्रत की कथा पढ़ती या सुनती हैं, उन्हें कभी भी अपनी संतान के वियोग का सामना नहीं करना पड़ता है. इस साल जितिया व्रत 18 सितंबर 2022 (रविवार) को रखा जाएगा, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार, अनुसार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है.
बताया जाता है कि जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत का संबंध महाभारत काल से है. संतान की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और खुशहाल जीवन के लिए किए जाने वाले इस व्रत की शुभकामनाएं भी दी जाती हैं. ऐसे में आप भी इस शुभ अवसर पर इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स और एसएमएस के जरिए जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- तुम सलामत रहो, ये है मां की अरदास,
तुम्हें भी करनी होगी पूरी मां की आस,
बढ़ते जाना आगे प्रगति पथ पर,
शर्मिंदा न करना किसी भी कीमत पर
देश के आना काम, यही है मां का पैगाम.
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं
2- हो लंबी आयु मेरे लाल,
बढ़ाओ परिवार का मान,
मां रख रही है व्रत,
तुम करो कुल का गुणगाण.
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं
3- आज के दिन आपको,
जितिया व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं,
आप स्वस्थ और सुखी रहें,
जीवन में सभी संकटों से आपकी रक्षा हो.
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं
4- चिराग हो तुम घर का,
राग हो तुम मन का,
रहो सलामत युगों-युगों तक,
फैलाओ यश कीर्ति, धरती से फलक तक.
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं
5- जीवित्पुत्रिका व्रत है,
गवाह ममत्व का,
मां को नमन जो,
प्रतिरूप है ईश्वर का,
नमन, बारंबार नमन.
जीवित्पुत्रिका व्रत की शुभकामनाएं
गौरतलब है कि संतान की लंबी उम्र के लिए रखे जाने वाला यह व्रत निर्जल और बहुत कठिन होता है. इस पर्व को बिहार, मध्य प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया जाता है. यह व्रत तीन दिनों तक चलता है, जिसमें व्रत के एक दिन पहले महिलाएं नहा कर सेंधा नमक से बिना लहसुन और प्याज के भोजन बनाती हैं. इस भोजन को खाने के बाद अगले दिन निर्जल व्रत किया जाता है, फिर नवमी तिथि को पारण किया जाता है. यह व्रत सप्तमी से नवमी तिथि तक चलता है.