Jaya Parvati Vrat 2021: जया पार्वती व्रत से मिलता है अखंड सौभाग्य का वरदान, जानें शुभ मुहूर्त, नियम, पूजा विधि और महत्व
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत किया जाता है. इस साल जया पार्वती व्रत 22 जुलाई से शुरु हो रहा है और 26 जुलाई को इसका समापन होगा. आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी से सावन के कृष्ण पक्ष तृतीया तक करीब पांच दिनों तक यह व्रत चलता है. इस व्रत को कठिन माना जाता है, इसलिए इसके नियमों पालन करना अनिवार्य माना जाता है.
Jaya Parvati Vrat 2021: हिंदू धर्म में सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना से साल भर में कई व्रत करती हैं, जिनमें से एक है जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat). हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत किया जाता है. इस साल जया पार्वती व्रत 22 जुलाई से शुरु हो रहा है और 26 जुलाई को इसका समापन होगा. आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी से सावन के कृष्ण पक्ष तृतीया तक करीब पांच दिनों तक यह व्रत चलता है. इस व्रत को कठिन माना जाता है, इसलिए इसके नियमों का पालन करना अनिवार्य माना जाता है. कहा जाता है कि एक बार इस व्रत को शुरु करने के बाद कम से कम 5, 7, 9, 11 या 20 साल तक करना चाहिए. इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करने पर भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. चलिए जानते हैं जया पार्वती व्रत शुभ मुहूर्त, नियम, पूजा विधि और इसका महत्व.
शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त- 22 जुलाई 2021 को सुबह 11:57 से दोपहर 12:52 बजे तक.
विजय मुहूर्त- 22 जुलाई 2021 को दोपहर 02:43 से दोपहर 03:38 बजे तक.
गोधुली मुहूर्त- 22 जुलाई 2021 को शाम 07:05 से शाम 07:29 बजे तक.
व्रत से जुड़े नियम
जया पार्वती व्रत में पांच दिनों में गेंहू की पूजा की जाती है, इसलिए व्रत के दौरान 5 दिनों तक गेहूं से बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा पांच दिनों तक नमक और खट्टी चीजों के सेवन से भी परहेज करना चाहिए. व्रत के दौरान 5 दिनों तक फलाहार का सेवन करना चाहिए.
जया पार्वती व्रत में गेहूं के बीजों को मिट्टी के बर्तन में लगाया जाता है और पांच दिनों तक उस बर्तन की पूजा की जाती है. छठे दिन यानी समापन के दिन गेहूं से भरा पात्र किसी नदी या तालाब में प्रवाहित करना चाहिए. यह भी पढ़ें: Harela 2021: उत्तराखंड का लोक उत्सव है हरेला, भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित इस पर्व में पौधे लगाने की है परंपरा
पूजा विधि
जया पार्वती व्रत के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. फिर सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव-माता पार्वती और गेहूं के बीजों के बर्तन की पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि शिव और पार्वती की पूजा गोधुली मुहूर्त में करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. शाम को पूजा के बाद पति के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. इसी तरह से 5 दिनों तक नियमपूर्वक पूजा करनी चाहिए.
महत्व
मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सुहागन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य और खुशहाल जीवन का वरदान मिलता है, जबकि कुंवारी कन्याओं को व्रत के प्रभाव से अच्छा जीवनसाथी मिलता है. इस व्रत को करने से महिलाओं को जन्म-जन्म तक उनके पति का साथ मिलता है, इसलिए जया पार्वती व्रत को अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला और सुख-समृद्धि देने वाला माना गया है.