Jaya Ekadashi 2024 Wishes in Hindi: हिंदू धर्म में माघ मास को पुण्यदायी माना जाता है और इस महीने स्नान-दान करना व व्रत करने का फल अन्य महीनों से अधिक पुण्य फलदायी माना जाता है. वहीं माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी (Jaya Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) करने से व्यक्ति को पिशाच योनी से मुक्ति मिलती है. इस व्रत के प्रभाव से लोगों को इस जन्म और पिछले जन्म में किए गए पापों से छुटकारा मिलता है. इतना ही नहीं यह व्रत मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति दिलाता है. जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है, उसे मृत्यु के बाद पिशाच या प्रेत योनि में नहीं जाना पड़ता, बल्कि उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस साल जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी 2024 को रखा जा रहा है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी का व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से अग्निष्टोम यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही भक्तों को भूत-प्रेत और पिशाच योनी की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती हैं. जया एकादशी के इस अति पावन अवसर पर आप इन भक्तिमय हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्नानाभं सुरेशं।
विश्वधारं गगनसद्शं मेघवर्णं शुभाड्गमं।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।
वंदे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
जया एकादशी की शुभकामनाएं
2- ॐ नमो नारायण।
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
जया एकादशी की शुभकामनाएं
3- आपके परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आए,
भगवान आपको यश और कीर्ति दें…
जया एकादशी की शुभकामनाएं
4- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
जया एकादशी की शुभकामनाएं
5- श्रीहरि विष्णु है जिनका नाम,
बैकुंठ है उनका धाम,
वो जगत के हैं पालनहार,
उन्हें शत-शत नमन है बार-बार.
जया एकादशी की शुभकामनाएं
जया एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन सात्विक रहते हुए श्रीहरि का ध्यान व पूजन करना चाहिए. पूजन के दौरान भगवान विष्णु की मूर्ति को शंख के जल से 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान कराना चाहिए, फिर वस्त्र, चंदन, जनेऊ, गंध, अक्षत, पुष्प, तुलसी दल, धूप-दीप, नैवेद्य, मौसमी फल, नारियल इत्यादि अर्पित करना चाहिए. पूजा के बाद आखिर में आरती उतारनी चाहिए, फिर अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा देने के बाद अपने व्रत का पारण करना चाहिए.