Rath Yatra Ki Shubhkamnaye: अषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि यानी कि आज 23 जून 2020 को भगवान जगन्नाथ (Bhagwan Jagannath) की रथ यात्रा का शुभारंभ हो रहा है. यह रथ यात्रा 1 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन समाप्त होगी. रथ यात्रा का पर्व श्रद्धा और भक्ति का अनोखा संगम है. इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) और बलराम अपनी बहन सुभद्रा के साथ नगर की सैर करते हैं. इस बार की जगन्नाथपुरी की रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) कई मायनों में ऐतिहासिक होगी. इस समय कोरोना संकट के बीच जगन्नाथपुरी की रथ यात्रा में हर साल शामिल होने वाले भक्त अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकते हैं. पुरी शहर संपूर्ण रूप से लॉकडाउन है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर काल से इस यात्रा का आयोजन किया जा रहा है. एक बार भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) की बहन सुभद्रा ने उनसे नगर भ्रमण की इच्छा जाहिर की. इसके बाद सुभद्रा के नगर भ्रमण के लिए रथ यात्रा का आयोजन किया गया. इस यात्रा के लिए तीन रथ बनाए गए और इन रथ पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने अपनी बहन सुभद्रा को नगर भ्रमण कराया. कहा जाता है कि तभी से हर साल यहां जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है.
हिंदुओं के लिए पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा विशेष महत्त्व है. इस खास अवसर पर आप अपने दोस्तों और प्रियजनों को इन खास WhatsApp Stickers, Facbook Greetings, GIF Images, Wallpapers और SMS के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1: Happy Rath Yatra ( रथ यात्रा की शुभकामनाएं)
2: जब-जब होती है धर्म की हानि,
तब-तब लेते हैं अवतार भगवान,
करके मर्दन पापियों का,
मुक्ति देते हम पृथ्वी वासियों को.
जय श्रीकृष्ण !
3: जय जगन्नाथ जिनका नाम है,
पुरी जिनका धाम है,
ऐसे भगवान को हम सबका प्रणाम है.
रथ यात्रा और आषाढ़ी दूज की हार्दिक बधाई.
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं.
4: रथ यात्रा के इस पवित्र अवसर पर महाप्रभु जगन्नाथ आपको और आपके परिवार को खुशी और खुशियां प्रदान करें.
5: हरे कृष्ण, हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम, हरे राम,
राम राम हरे हरे
आपको और आपके पूरे परिवार को
आषाढ़ी दूज और रथ यात्रा बधाई.
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं
6: आपको और आपके परिवार को रथ यात्रा की शुभकामनाएं (Happy Rath Yatra)
इस भव्य और अद्भुत यात्रा में लकड़ी के बने तीन रथ होते हैं, जिनमें भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं रखी जाती हैं. यात्रा की शुरुआत सबसे पहले बलराम जी के रथ तालध्वजा से होती है. इसके बाद सुभद्रा के पद्म रथ की यात्रा शुरू होती है. सबसे अंत में भक्त भगवान जगन्नाथ जी का रथ 'नंदी घोष' होता है.
इन तीनों रथों को श्रद्धालु खींचकर चलते हैं. अगर सूर्य डूबने तक यह रथ यात्रा पूरी नहीं हो पाती है तो इसे रोक दिया जाता है और अगले दिन यात्रा की शुरुआत होती है. भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए लगे होते हैं. उनके भाई बलराम के रथ में 14 और बहन सुभद्रा के रथ में 12 पहिए लगे होते हैं.