Islamic New Year 2023: कब शुरू हो रहा है इस्लामिक नववर्ष? जानें हिजरी वर्ष का इतिहास और सेलिब्रेशन!
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम माह के पहले दिन से नववर्ष शुरू होता है. जो इस वर्ष इसी माह से प्रारंभ हो रहा है. आध्यात्मिक दृष्टि से मुसलमानों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद जाकर कुरान की खास आयतें पढ़ते हैं, एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं...
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम माह के पहले दिन से नववर्ष शुरू होता है. जो इस वर्ष इसी माह से प्रारंभ हो रहा है. आध्यात्मिक दृष्टि से मुसलमानों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद जाकर कुरान की खास आयतें पढ़ते हैं, एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं. इस वर्ष इस्लामिक नव वर्ष 19 जुलाई 2023, बुधवार को मनाया जाएगा. आइये जानते हैं इस्लामिक नववर्ष के बारे में विस्तार से...यह भी पढ़ें: Sawan Second Somvar 2023: सावन के दूसरे सोमवार पर बन रहे हैं दुर्लभ संयोग! इस दिन पूजा-अनुष्ठान से मिलते हैं ये लाभ
हिजरी वर्ष की शुरुआत
हिजरी की शुरुआत दूसरे खलीफा हजरत उमर फारूक के दौर में हुई थी. हजरत अली के सुझाव से यह तय हुआ था. इस्लाम धर्म के आखिरी प्रवर्तक हजरत मोहम्मद के पवित्र शहर मक्का से मदीना जाने के समय से हिजरी सन को इस्लामी वर्ष का आरंभ माना गया. इसी तरह हजरत अली और हज़रत उस्मान गनी के सुझाव पर खलीफा हजरत उमर ने मोहर्रम को हिजरी सन का पहला माह तय किया, तभी से दुनिया भर के मुसलमान मोहर्रम पर्व को इस्लामी नववर्ष की शुरुआत मानते हैं. यह नववर्ष मोहर्रम माह के पहले दिन मनाया जाता है. इस दिन अहिंसा और विशिष्ट आदर्शों के साथ उत्सव के रूप में मनाया जाता है. मुस्लिम लोग इस महीने मुहर्रम के पंडालों में जाकर मातम करते हैं, यह एक शोक पर्व की तरह होता है, इस दौरान लोग अहिंसा एवं संयम का प्रदर्शन करते हैं. यह एक धार्मिक पर्व है.
नव वर्ष सेलिब्रेशन
मुस्लिम लोग इस्लामी नववर्ष के दिन पहली नमाज अदा करके आने के बाद अपने-अपने घरों को फूलों, धूप एवं खुशबू वाले दीपों से सजाते हैं. इस दिन विशेष रूप से अदा-ई-सुबह के रूप में साथ में नाश्ता करते हैं. इसके बाद एक दूसरे को बधाइयां देते हैं. आपसी प्रेम एवं भाईचारा के साथ रहने एवं खुशियां बांटने के लिए एक दूसरे को प्रोत्साहित करते हैं. लोग समूह में स्वादिष्ट दावत करते हैं और एक दूसरे को उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं. यह सभी मित्रों एवं परिजनों के साथ कुछ वक्त गुजारने का बेहतरीन अवसर की तरह होता है.
दान-पुण्य के कार्य करना
इस्लामिक नववर्ष के दिन समर्थ लोग जरूरतमंदों और गरीबों को उनकी जरूरत की चीजें दान करते हैं. कुछ लोग इस अवसर पर गरीबों को कपड़ा और खाना वितरित करते हैं. एक दूसरे के प्रति प्रेम एवं त्याग की भावना को दिखाते हैं. कहने का आशय मुस्लिम लोग इस दिन को धार्मिक रूप से सेलिब्रेट करते हैं.
सूर्यास्त से शुरू होती है दिन की गणना
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 'मोहर्रम' पहले माह का नाम है. कुरआन के पारा नंबर 10 में सूरह तोबा की आयत नम्बर 36 के मुताबिक इस पवित्र माह में हज़रत आदम अलेहि सलाम दुनिया में आये, हजरत नूह अलेहि सलाम की कश्ती को दरिया के तूफान में किनारा मिला. हजरत मूसा अलैहि सलाम और उनकी कौम को फिरऔन के लश्कर से निजात मिली और फिरौन दरिया-ए-नील में समा गया.
इस्लामिक कैलेंडर के बारह माह
1- मुहर्रम, 2- सफर, 3- रबीउल-अव्वल, 4- रबीउल-आखिर, 5- जमादिल-अव्वल, 6- जमादिल-आखिर, 7- रज्जब, 8- शाबान, 9- रमजान, 10- शव्वाल, 11- जिल काअदह, 12- जिल हिज्जा