International Tiger Day 2020: अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस आज, जानें बाघों के संरक्षण के प्रति प्रोत्साहित करने वाले इस दिन का इतिहास और महत्व
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2020 (Photo Credits: File Image)

International Tiger Day 2020: बाघों के संरक्षण (Tiger Conservation) के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके प्राकृतिक आवासों की रक्षा करने की वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) या वैश्विक बाघ दिवस (Global Tiger Day) मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस की स्थापना साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समित (Saint Petersburg Tiger Summit) में की गई थी. इस समिट के दौरान बाघ आबादी वाले देशों की सरकारों ने 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने की कसम खाई. 20वीं सदी की शुरुआत के बाद से जंगली बाघों (Wild Tigers) की संख्या 95 फीसदी से अधिक घट गई.

बाघों की अलग-अलग प्रजातियां हैं जिनमें साइबेरियन बाघ, बंगाल टाइगर, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ और दक्षिण चीन बाघ इत्यादि शामिल हैं. बंगाल टाइगर मुख्य रूप से भारत में पाया जाता है. इसके अलावा इस प्रजाति के बाघ बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, चीन और म्यांमार में भी पाए जाते हैं. भारत सरकार के अनुसार, साल 2019 तक देश में बाघों की संख्या 2,967 थी. टाइगर एस्टीमेशन रिपोर्ट के अनुसार, साल 2014 में देश में बाघों की संख्या 2,226 थी और साल 2018 में उनकी संख्या बढ़कर 2,967 हो गई. भारत में 1970 के दशक में बाघों के संरक्षण के अंतर्गत उनकी संख्या को स्थिर करने में मदद मिली. बाघों की तमाम प्रजातियों में बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टिग और टाइगर हाइब्रिड शामिल है.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के इतिहास पर नजर डालें तो इस दिवस को मनाने का फैसला साल 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग समिट में लिया गया था. दरअसल, जंगली बाघों की संख्या विलुप्ति के कगार पर पहुंच गई थी, जिसके कारण लोगों में बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिवस को मनाने का फैसला किया गया. इस सम्मेलन में बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने साथ मिलकर यह वादा किया था कि साल 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुनी करने का प्रयास करेंगे. यह भी पढ़ें: अच्छी खबर! मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ के 6 बच्चों और तेंदुए के 3 बच्चों का हुआ जन्म, देखें तस्वीरें

बाघों की घटती संख्या का कारण

इंसानों द्वारा शहरों, कृषि के विस्तार के कारण बाघों का 93 फीसदी प्राकृतिक आवास खत्म हो चुका है. उनकी घटती संख्या का एक बड़ा कारण उनका अवैध तरीके से शिकार करना भी है. बाघों के अवैध शिकार के कारण अब बाघ अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के विलुप्तप्राय श्रेणी में आ चुके हैं. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी बाघों की घटती संख्या की सबसे बड़ी वजह है. दरअसल, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे जंगलों के खत्म होने का खतरा बढ़ गया है.

क्या है इस दिवस का महत्व?

पिछले 100 सालों में बाघों की आबादी का लगभग 97 फीसदी हिस्सा खत्म हो चुका है. वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड और ग्लोबल टाइगर फोरम के साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, पूरी दुनिया में फिलहाल 6 हजार बाघ की बचे हैं. बाघों की कुछ प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और जो प्रजातियां बची हैं उनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है. इस दिवस का मुख्य उद्देश्य बाघों के निवास के संरक्षण और उनके विस्तार को बढ़ावा देने के साथ बाघों का संरक्षण करना है.