International Day of the Girl Child 2021: कुछ अरसा पूर्व तक दुनिया भर में हर क्षेत्र में बालिकाओं को बालकों से कमतर समझा जाता रहा है. कन्या भ्रूण-हत्या, बाल-विवाह, अशिक्षा, एवं महज बच्चे पैदा करने तक सीमित रखने जैसी रुढ़िवादी प्रथाओं के प्रचलन के कारण उन्हें उनकी शिक्षा, समुचित पोषण, कानूनी अधिकारों एवं चिकित्सीय व्यवस्था जैसे मूल मानवीय अधिकारों से वंचित रखा जाता था. इस लिंग भेद को समाप्त करने एवं बालकों की तरह बालिकाओं को भी उनके समग्र विकास के लिए 11 अक्टूबर को विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child Day) मनाने की शुरुआत हुई. भारत में भी बालिकाओं के समुचित विकास के लिए 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) मनाया जाता है. आइये जानें विश्व बालिका दिवस के संदर्भ में कुछ आवश्यक बातें.
कैसे शुरू हुआ विश्व बालिका दिवस?
कनाडा के गैर–सरकारी संगठन ‘ग्लोबल चिल्ड्रेन चैरिटी’ द्वारा विश्व स्तर पर बालिका दिवस मनाने की शुरुआत ‘प्लान इंटरनेशनल’ प्रोजेक्ट के रूप में हुई थी. इस संगठन ने ‘क्योंकि मैं एक लड़की हूं’ के टायटल से एक मिशन शुरु किया, जिसमे लड़कियों की उच्च शिक्षा, सेहत और कानूनी अधिकारों जैसे मुद्दों को उठाया गया. इसके बाद इसी संगठन ने बालिकाओं से संबंधित ‘प्लान इंटरनेशनल’ की शुरुआत की. इससे संबद्ध कुछ प्रतिनिधियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिकाओं के विकास पर जागरूकता फैलाने के लिए कनाडा की फेडरल सरकार को विश्वास में लिया और ‘प्लान इंटरनेशनल’ को संयुक्त राष्ट्र महासभा की स्वीकृति लेते हुए लड़कियों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित किया. 19 दिसंबर 2011 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने औपचारिक रूप से 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की घोषणा की. साल 2012 से आज यानी 11 अक्टूबर को विश्व बालिका दिवस निर्विघ्न मनाया जा रहा है.
क्या है उद्देश्य?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य बालिका सशक्तिकरण और उन्हें उनके अधिकार प्रदान करने में मदद करना था, ताकि तमाम चुनौतियों का सामना करने योग्य बन सकें, एवं दुनिया भर में बालिकाओं के संदर्भ में लैंगिक असमानताओं को खत्म करने के बारे में जागरूकता फैलाना था. उनकी मूलभूत समस्याओं में उन्हें उच्च शिक्षा सुविधा, समुचित पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सीय लाभ आदि शामिल हैं, जहां सदियों से उनके साथ भेदभाव किया जाता रहा है. महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा, बलात्कार, जबरन विवाह, पुस्तैनी अधिकार से वंचित रखने जैसी रुढ़िवादी परंपराओं को ख़त्म करना भी इसका मुख्य लक्ष्य था.
कैसे मनाया जाता है?
प्रत्येक वर्ष 11 अक्टूबर के दिन संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में लड़कियों के मानवाधिकारों के संबंध में एक संयुक्त आयोजन किया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य लड़कियों के हितों की रक्षा कर देश-दुनिया के विकास में उनकी सहभागिता करवाना है. इसके अलावा दुनिया भर में संगीत, कला, खेल और डिबेट्स के माध्यम से बालिकाओं के संपूर्ण विकास पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. इस दिन विभिन्न समुदायों, राजनीतिक नेताओं और संस्थाओं द्वारा बालिकाओं की समुचित शिक्षा और मौलिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर लोगों को जागरूक किया जाता है. इस दिन भारत में भी बालिकाओं के समग्र विकास के तहत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं.
थोड़ा है थोड़े की जरूरत है
विश्व बालिका दिवस शुरु होने के पश्चात दुनिया भर में बालिकाओं के सुरक्षित भविष्य से संबंधित उद्देश्यों में कुछ हद तक सफलता मिली है. आज लड़कियां देश की सीमाओं पर तैनात हैं, पुलिस, खेल, सरकारी गैरसरकारी उच्च पदों, अंतरिक्ष, ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में लड़कों के समानांतर चल रही हैं, बल्कि कुछ क्षेत्रों में उन्होंने लड़कों को पछाड़ा भी है. इसके बावजूद दुनिया के कई देशों में आज भी बालिकाओं के नैतिक विकास एवं उनके अधिकारों के लिए काफी कुछ करना शेष है. विशेषकर भारत जैसे विशाल देश में जहां आज भी आये दिन कन्या भ्रूण-हत्या, दैहिक एवं मानसिक अत्याचारों की खबरें सुर्खियां बन रही हैं. ऐसी तमाम समस्याओं का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए उन्हें तत्काल दूर करने की जरूरत है, ताकि लड़के-लड़की के लिंग भेद को जड़ से समाप्त किया जा सके.