Happy Holi 2023 Messages in Sanskrit: हिंदू धर्म में दिवाली (Diwali) के बाद रंगों के पर्व होली को सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima) के दिन प्रदोष काल में होलिका दहन (Holika Dahan) होता है, जिसे छोटी होली (Chhoti Holi) भी कहा जाता है और उसके अगले दिन यानी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा के दिन रंगों वाली होली (Holi) खेली जाती है. इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाते हैं. इसके साथ ही गले मिलकर एक-दूसरे को इस पर्व की बधाई देते हैं. इस साल होली का त्योहार कई जगहों पर 7 मार्च को तो कई जगहों पर 8 मार्च को मनाया जा रहा है. इस दिन लोग भांग की ठंडाई, गुझिया और मिठाई जैसे होली के लजीज पकवानों का लुत्फ उठाते हुए रंगों के इस पर्व को सेलिब्रेट करते हैं.
रंगों के त्योहार होली पर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाने के अलावा लोग शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं. हिंदी, मराठी, अंग्रेजी के अलावा विभिन्न भाषाओं में लोग शुभकामना संदेशों की तलाश में जुटे रहते हैं. ऐसे में हम होली के संस्कृत मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और फोटो एसएमएस को लेकर आए हैं, जिन्हें आप अपने प्रियजनों को भेजकर संस्कृत में होली की बधाई दे सकते हैं.
1- अवतु प्रीणातु च त्वां भक्तवत्सलः ईश्वरः।
होलिकापर्वशुभकामनाः/शुभाशयाः/
भावार्थः भगवान आपकी सुरक्षा करें और आप पर कृपा बनाएं रखे. होली पर्व की शुभकामना.
2- आशासे त्वज्जीवने रंगोत्सवम् अत्युत्तमं शुभप्रदं स्वप्नसाकारकृत् कामधुग्भवतु।
भावार्थः मुझे उम्मीद है कि रंगों का त्योहार आपके जीवन का सबसे अच्छा पर्व होगा.
आपके सभी सपने सच हों और आपकी सभी आशाएं पूरी हों.
3- आशासे यत् होलिकापर्व भवतु मङ्गलकरम् अद्भुतकरञ्च।
जीवनस्य सकलकामनासिद्धिरस्तु।
भावार्थः मुझे उम्मीद है कि होली का पर्व आपके लिए एक सुखद आश्चर्य लेकर आएगा.
आप जीवन में जो कुछ भी चाहते हैं, वह आपको मिले.
4- भवज्जीवनं रड्गैः आल्हादमयं भवेदिति कामना ।
भावार्थः कामना है कि आपका जीवन आनंद के रंगों से भरा रहे.
5- सूर्य संवेदना पुष्पे, दीप्ति कारुण्यगंधने।
लब्ध्वा शुभं होलिकापर्वेऽस्मिन कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्।।
भावार्थः जिस तरह सूर्य प्रकाश देता है, संवेदवा करुणा को जन्म देती है, पुष्प सदैव महकता रहता है,
उसी तरह आने वाला यह होली का पर्व आपके लिए हर दिन, हर पल के लिए मंगलमय हो.
होली से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, असुर हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु के परम भक्त व अपने पुत्र प्रह्लाद को आग में जलाकर मारने के लिए अपनी बहन होलिका को तैयार किया था. होलिका को अग्नि में न जल पाने का वरदान प्राप्त था, इसलिए वो फाल्गुन पूर्णिमा के दिन प्रह्लाद को आग में लेकर बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गए और होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गई. इसी वजह से हर साल होलाकि दहन किया जाता है और अगले दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर होली का त्योहार मनाया जाता है.