तिरुवनंतपुरम: पूरे केरल में सोमवार को हिंदु समुदाय ने सौभाग्य लेकर आने वाले पारंपरिक नववर्ष विशु को उत्साहपूर्वक मनाया. मुख्य त्यौहार की पिछली रात को गृहणियां 'विशुकनी दर्शन' तैयार करती हैं, जो कि अपने देवता को प्रसन्न करने की एक पारंपरिक व्यवस्था है. इसे सुबह सबसे पहले देखने का रिवाज होता है.
एक विशेष घड़ा, जिसे 'उराली' कहा जाता है, उसमें ताजी चीजें जैसे खीरा, नारियल, आम, केले का पत्ता, अनन्नास, कद्दू, चावल आदि भरकर मूर्ति के सामने रखा जाता है. इस उत्सव में 'विशुकनी' सबसे पहले बुजुर्ग देखते हैं और फिर घर के बाकी सदस्यों को जगाते हैं. 'विशुकनी दर्शन' के पहले तक सबकी आंखे बंद रहती हैं.
इस दिन एक और मुख्य आयोजन होता है. इसे 'विशुकाइनितम' (उपहार) कहते हैं, इसमें उपहार के तौर पर सिक्के देने का रिवाज है. इन आयोजनों के बाद परिवार के सदस्य मंदिर जाते हैं और फिर साथ में दोपहर का भोजन ग्रहण करते हैं. शुद्ध शाकाहारी भोजन में 26 तरह के पकवान को केले के पत्ते पर परोसा जाता है.