Hindi Journalism Day 2020: हिंदी पत्रकारिता दिवस आज, 30 मई के दिन ही शुरु हुआ था हिंदी का पहला समाचार पत्र, जानें इसका इतिहास और महत्व
हिंदी भाषा में 'उदन्त मार्तण्ड' नामक पहला समाचार पत्र 30 मई 1826 को पहली बार प्रकाशित हुआ था, इसलिए इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है. पत्रकारिता को समाज का आईना कहा जाता है, साथ ही मीडिया को भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी माना जाता है. खासकर बात करें हिंदी पत्रकारिता की तो इसने एक लंबा सफर तय किया है और जन-जन तक अपनी आवाज पहुंचाई है.
Hindi Patrakarita Diwas 2020: पत्रकारिता (Journalism) को समाज का आईना कहा जाता है, साथ ही मीडिया को भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी माना जाता है. खासकर बात करें हिंदी पत्रकारिता की तो इसने एक लंबा सफर तय किया है और जन-जन तक अपनी आवाज पहुंचाई है. आज हिंदी भाषी पत्रकारों (Hindi Journalists) के लिए बेहद खास दिन है, क्योंकि आज (30 मई 2020) हिंदी पत्रकारिता दिवस (Hindi Patrakarita Diwas) मनाया जा रहा है. आज ही के दिन यानी 30 मई 1826 को हिंदी का पहला समाचार पत्र (First Hindi News Paper) 'उदन्त मार्तण्ड' शुरू किया गया था. हालांकि आज के युग में पत्रकारिता के कई माध्यम हो गए हैं जैसे- अखबार, मैगजीन, रेडियो, दूरदर्शन, समाचार चैनल और डिजिटल मीडिया. पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय बन गया है, जिसमें देश और दुनिया भर से समाचारों को इकट्ठा करना, लिखना और उसे लोगों तक पहुंचाना शामिल है. चलिए हिंदी पत्रकारिता दिवस पर जानते हैं हिंदी के पहले अखबार के साथ इस दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में.
'उदन्त मार्तण्ड' है हिंदी का पहला समाचार पत्र
आज के आधुनिक दौर में हिंदी के कई अखबार, मैगजीन, चैनलों और डिजिटल मीडिया के माध्यम से लोगों तक जानकारियां व खबरें पहुंचाई जाती हैं. बात करें हिंदी के पहले समाचार पत्र की तो इसकी शुरुआत 30 मई 1826 को हुई थी. इसी दिन पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने हिंदी के पहले समाचार पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' का प्रकाशन शुरू किया था. पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इस समाचार पत्र को कलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर प्रकाशित किया था. वे इसके प्रकाशक और संपादक भी थे. उदन्त मार्तण्ड का शाब्दिक अर्थ है 'समाचार-सूर्य'. हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में इस समाचार पत्र ने अपने नाम की तरह ही ख्याति हासिल की थी.
हिंदी पत्रकारिता दिवस का इतिहास और महत्व
हिंदी पत्रकारिता दिवस की शुरुआत बंगाल से हुई थी, जिसका सारा श्रेय राजा राममोहन राय को जाता है. राजा राममोहन राय ही वो शख्स थे, जिन्होंने सबसे पहले प्रेस को सामाजिक उद्देश्य से जोड़ा और भारतीयों के सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक व आर्थिक हितों का समर्थन किया. अपने पत्रों के जरिए उन्होंने न केवल जनता में जागरूकता पैदा की, बल्कि समाज में व्याप्त अंधविश्वास व कुरीतियों पर प्रहार भी किए.
राजा राममोहन राय ने कई पत्र शुरू किए, जिनमें अहम है साल 1816 में प्रकाशित 'बंगाल गजट'. इस समाचार पत्र को भारतीय भाषा का पहला समाचार पत्र माना जाता है, जिसके संपादक गंगाधर भट्टाचार्य थे. राजा राममोहन राय ने इसके अलावा मिरातुल, संवाद कौमुदी, बंगाल हैराल्ड पत्र जैसे कई समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों में चेतना जगाने का काम किया. हालांकि हिंदी भाषा में 'उदन्त मार्तण्ड' नामक पहला समाचार पत्र 30 मई 1826 को पहली बार प्रकाशित हुआ था, इसलिए इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: World Hindi Day 2020: हिंदी भाषा को विश्व में पहचान दिलाता है वर्ल्ड हिंदी डे, जानें इस दिवस से जुड़ी रोचक बातें
एक साल में बंद हो गया उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन
हिंदी के पहले समाचार पत्र उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन कानपुर निवासी जुगल किशोर शुक्ल ने किया था. उन्होंने काफी दिनों तक इस समाचार पत्र को चलाया और पत्रकारिता करते रहे, लेकिन आगे के दिनों में उन्हें इसका प्रकाशन बंद करना पड़ा. उन्होंने इस पत्र का प्रकाशन ऐसे समय में शुरू किया जब हिंदी भाषियों को अपनी भाषा के पत्र की आवश्यकता महसूस हो रही थी. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ‘उदन्त मार्तण्ड‘ का प्रकाशन शुरू किया गया.
इस समाचार पत्र के जरिए समाज में चल रहे विरोधाभासों एवं अंग्रेजी शासन के खिलाफ आम जन की आवाज को उठाने का काम किया गया था. कानूनी कारणों, धन की कमी और ग्राहकों के पर्याप्त सहयोग न मिलने से प्रकाशन के एक साल बाद ही 19 दिसंबर 1827 को इस समाचार पत्र को बंद करना पड़ा.