Hartalika Teej 2020: हरतालिका तीज कब है? भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने किया था यह व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

हरतालिका तीज का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखी दांपत्य जीवन की कामना से निर्जल व्रत रखती हैं. व्रत रखने वाली महिलाएं शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करती हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करके अपने व्रत खोलती हैं.

हरतालिका तीज 2020 (Photo Credits: File Image)

Hartalika Teej 2020: हरियाली तीज (Hariyali Teej) और कजरी तीज (Kajari Teej) के बाद अब सौभाग्यवती महिलाएं हरतालिका तीज (Hartalika Teej) की तैयारियां कर रही हैं. हरतालिका तीज का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखी दांपत्य जीवन की कामना से निर्जल व्रत रखती हैं. व्रत रखने वाली महिलाएं शाम को भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) की विधिवत पूजा करती हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत खोलती हैं. सुहागन स्त्रियों के अलावा कुंवारी कन्याएं भी अच्छे पति की कामना से पूरे दिन बिना कुछ खाए-पीए व्रत करती हैं.

इस पर्व को बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल हरतालिका तीज 21 अगस्त 2020 को मनाई जाएगी. चलिए जानते हैं हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, पूजा विधि, महत्व और इस पर्व से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं.

शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज तिथि- 21 अगस्त 2020 (शुक्रवार)

तृतीया तिथि प्रारंभ- 21 अगस्त को 02.14 AM से,

तृतीया तिथि समाप्त- 21 अगस्त को 11.04 PM तक.

प्रात:काल मुहूर्त- सुबह 05.53 बजे से सुबह 08.29 बजे तक.

प्रदोष काल मुहूर्त- शाम 06.54 बजे से रात 09.06 बजे तक. यह भी पढ़ें: Hariyali Teej 2020: हरियाली तीज कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सावन के महीने में मनाए जाने वाले इस पर्व का महत्व

पूजा विधि

व्रत से जुड़े नियम

हरतालिका तीज का महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने इस व्रत को किया था. हरतालिका तीज के व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि जो महिलाएं इस व्रत को करती हैं उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है. इसके साथ ही उन्हें अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान प्राप्त होता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती का पूजन करती हैं, दिनभर उपवास के बाद रात को भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है.

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