Happy Gurpurab 2019: बाबर ने गुरु नानक देव को कैद किया! फिर क्या हुआ कि उसे माफी मांगनी पड़ी! जानें ‘बाबरवाणी’ में क्या लिखा है उन्होंने

इसे एक अद्भुत एवं दुर्लभ संयोग ही कहा जाएगा कि पिछले दिनों एक तरफ श्री गुरुनानक सिंह महाराज की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में ननकाना (पाकिस्तान) पहुंचने के लिए भारत के प्रधानमंत्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर के उद्घाटन का फीता काट रहे थे, उसी दिन या यूं कहें कि उसी समय सुप्रीम में श्रीराम मंदिर पर फैसले की अंतिम सुनवाई हो रही थी.

गुरु नानक जयंती 2019 (Photo Credits: File Image)

Happy Gurpurab 2019: इसे एक अद्भुत एवं दुर्लभ संयोग ही कहा जाएगा कि पिछले दिनों एक तरफ श्री गुरुनानक जी की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में ननकाना (पाकिस्तान) पहुंचने के लिए भारत के प्रधानमंत्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर के उद्घाटन का फीता काट रहे थे, उसी दिन या यूं कहें कि उसी समय सुप्रीम में श्रीराम मंदिर पर फैसले की अंतिम सुनवाई हो रही थी और फैसले में भी जज महोदय फैसले की कॉपी के पेज नंबर 63 पर एक साक्ष्य का हवाला देते हुए बता रहे थे कि किस तरह 1510-1511 के मध्य गुरुनानक जी महाराज श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का दर्शन करने गए थे. करतारपुर साहिब वह जगह है, जो कभी सिक्खों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव प्रथम निवास स्थान रहा है. यहां उन्होंने जीवन के 18 महत्वपूर्ण हिस्से गुजारे थे. यहां हम गुरुनानक देव जी और बाबर के रोचक किस्सों की बात कर रहे हैं, जिसे नानक देव जी ने अपनी बाबरगाथा में लिखा है.

श्रीगुरू नानक देव जी बाबर के समकालीन संत थे. कहा जाता है कि भारत पर कब्जा करने के लिए मुगल बादशाह बाबर ने साल 1519 से 1526 के बीच पांच बार हमले कर चुका था. अंततः पानीपत के मैदान में उसने इब्राहिम लोदी को परास्त कर भारत में मुगल वंश की नीव रखी. दरअसल भारत में लगातार अपना साम्राज्य फैलाने और अपना खौफ बनाने के लिए बाबर काफी अत्याचार कर रहा था. इसका साक्ष्य श्री गुरु नानक जी भी रहे हैं. उन्होंने अपने गुरुग्रंथ साहिब में इसका उल्लेख भी किया है.

बाबरवाणी फिरी गई कुईरू ना रो खाई.

अर्थात बाबर का साम्राज्य फैल रहा है और उसके जुल्मों की हद ये है कि शहजादियों तक ने खाना नहीं खाया है. बाबर के इस तरह के किस्सों के जिक्र के संग्रह को ‘बाबरवाणी’ कहा जाता है. इसमें गुरु नानक देव जी ने बाबर के आक्रमणों का बड़ी गंभीरता के साथ आकलन किया है.

बाबर के आक्रमण एवं अत्याचार के गवाह थे नानक

साल 1526 में जब बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर भारत में अपने पैर मजबूत कर रहा था, तब गुरु नानक जी महाराज एक लंबी यात्रा पर निकले थे. हालांकि इस तरह की यात्राएं वह अकसर करते रहते थे. ऐसी ही यात्रा उन्होंने मुस्लिमों के पवित्र शहर मक्के की भी की थी नानक जी बाबर के आक्रमण के चश्मदीद गवाह थे. जब बाबर देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों पर आक्रमण करते हुए अपने शासन को विस्तार देता जा रहा था, तो वह रास्ते में मिलने वाले हर बाशिंदे को कैद कर लेता था. इसी में उसके सैनिकों ने गुरु नानक जी महाराज को भी बंदी बना कर कैदखाने में डाल दिया था. मगर कैद होने के बाद भी गुरु नानक जी का प्रवचन और भजन जारी था. नानक के प्रवचन से जेल के अन्य कैदी उनके भक्त बनते जा रहे थे. यह खबर जब बाबर के तक पहुंची तो वर स्वयं नानक से मिलने कैदखाने आया. गुरुनानक महाराज के चेहरे का तेज देखकर ही बाबर समझ गया कि यह कोई साधारण आदमी नहीं है. उसने नानक को तुरंत रिहा करने के बाद उनसे माफी मांगी. तब गुरु नानक देव जी ने बाबर से कहा था कि मैंने तो तुम्हें पहले ही माफी दे दी है, लेकिन तुम्हें अल्लाह से भी माफी मांगनी चाहिए. ऐसा नहीं कर सकते तो मेरी तरह अन्य कैदियों को भी रिहा कर दो, सभी तुम्हें माफी दे देंगे.

नानक लिखित ‘बाबरगाथा’ की चार रचनाएं

जानकारों के अनुसार बाबरगाथा में नानक देव जी की चार रचनाएं संकलित हैं. नानक जी ने इसमें बाबर के हमलों और उसके अत्याचारों का जिक्र करते हुए बताया है कि बाबर की सैनिकों ने महिलाओं पर अत्याचार की सारी सीमाएं पार कर दी हैं. किसी के बहू बेटियों को उठा लेना और उनसे जबरदस्ती निकाह करना उसके सैनिकों के लिए किसी खेल की तरह था.

अगले चरण में नानक देव जी ने बाबर के आक्रमण को हिंदुस्तान को आग में झोंकने जैसा बताया. नानक देव जी ने एक-एक घायल के कराहने तक की बात लिखी है. नजारा लोगों ने देखा. तीसरे चरण में गुरु नानक जी ने राजघराने महारानियों, एवं महलों में रहनेवाली स्त्रियों के बारे में लिखा है कि उन्हें सड़क भी रहने के लिए नसीब नहीं हो रही है. इन महिलाओं की बेबसी और बेकद्री की कहानी बड़ी संवेदनात्मक समीक्षा के साथ उन्होंने लिखा है.

बाबर एवं उसके सैनिकों की नृशंस कहानियों को लिखते हुए नानक देव जी ने सर्वशक्ति मान ईश्वर का स्मरण करते हुए लिखा है कि यह संसार निश्चित तौर पर मेरा है, पर इसका अकेला मालिक तू ही है. तू ही इसे बनाता भी है और तू ही इसे नष्ट भी करता है. सारे सुख-दुख तेरे ही आदेश से आते जाते हैं.

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