सामान्य तौर पर हिंदू एकादशी को बहुत शुभ दिन मानते हैं. एक वर्ष में 24 एकादशियों में से शुक्ल पक्ष की एकादशी जो मलयालम माह वृश्चिकम (नवंबर / दिसंबर) में आती है, गुरुवायुर एकादशी के रूप में मनाई जाती है. इस साल गुरुवायुर एकादशी 25 नवंबर को मनायी जाएगी. गुरुवायुर एकादशी (Guruvayur Ekadasi) को वृश्चिकम शुक्ल पक्ष एकादशी (Vrishchikam Shukla Paksha Ekadasi) के नाम से भी जाना जाता है. यह एकादशी केरल के गुरुवायूर के प्रसिद्ध श्री कृष्ण मंदिर में मनाई जाती है. गुरुवयूर एकादशी को सौर कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है और इस कारण यह हिंदू चंद्र कैलेंडर में या तो कार्तिक में या मार्गशीर्ष महीने में पड़ता है. वर्तमान में यह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नवंबर या दिसंबर के महीने में मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: Kansa Vadh 2020: भगवान श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस का क्यों किया था वध, जानें अनुष्ठान और महत्व
गुरुवायुर एकादशी के पूरे दिन, मंदिर भक्तों के लिए खुला रहता है. दशमी के दिन (एकादशी से एक दिन पहले) सुबह 3 बजे मंदिर के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और ये सुबह 09 बजे तक (एकादशी के बाद) तक खुला रहता है. दिन की विशेष उथ्यस्थमाना पूजा (Uthayasthamana Puja) है जो सुबह से शाम तक मंदिर के हाथिओं के लिए की जाती है. गुरुवायुर में भगवान गुरुवायुरप्पन मंदिर में भगवान की पूजा के लिए समर्पित हाथियों का एक बड़ा समूह है. गुरुवायुर एकादशी पर इन हाथियों का एक बड़ा विशेष जुलूस निकाला जाता है. इस दिन एकादशी विलक्कु नामक दीप प्रज्ज्वलित करना इस आयोजन का मुख्य आकर्षण है. एकादशी से एक महीने पहले एकादशी विल्काकु को जलाया जाता है और यह दीपक उत्सव तक लगातार जलता रहता है. इस दिन को केरल में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने प्रियजनों को गुरुवायुर एकादशी की शुभकामनाएं देते हैं. अगर आप भी अपने प्रियजनों को गुरुवायुर एकादशी की शुभकामनाएं देना चाहते हैं तो नीचे दिए गए मैसेजेस भेजकर दे सकते हैं. यह भी पढ़ें: Devuthani Ekadashi Messages 2020: देव उठनी एकादशी पर ये GIF Greetings, WhatsApp Stickers, Wallpapers, Photos Messages भेजकर दें शुभकामनाएं
1. गुरुवायुर एकादशी की शुभकामनाएं!
2. गुरुवायुर एकादशी की हार्दिक बधाई!
3. गुरुवायुर एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं!
4. आपको और आपके परिवार को गुरुवायुर
एकादशी की बधाई!
5. शुभ गुरुवायुर एकादशी
एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद एकादशी पारण किया जाता है. द्वादशी सूर्योदय से पहले हरि वासरा के दौरान पारण नहीं करना चाहिए. व्रत तोड़ने से पहले हरि वसारा का इंतजार करना चाहिए. हरि वासरा द्वादशी तिथि की पहली चौथी अवधि है, जो व्रत तोड़ने के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त प्रातकाल है. मध्याहन के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए. यदि कुछ कारणों के कारण एक प्रातकाल के दौरान व्रत को तोड़ने में सक्षम नहीं है, तो मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए.