Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2025: धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर ने दी थी सर्वोच्च कुर्बानी, जानें तारीख इतिहास और महत्व

नौवें सिख गुरु गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) का जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर में हुआ था. सिख इतिहास में साहस, त्याग और मानवाधिकारों की रक्षा के महान प्रतीक माने जाते हैं. उन्हें ‘हिंद दी चादर’ (Hind ki Chadar) कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने धर्म और अंतरात्मा की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन की कुर्बानी दी...

गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस (Photo: File Image)

Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2025: नौवें सिख गुरु गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) का जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर में हुआ था. सिख इतिहास में साहस, त्याग और मानवाधिकारों की रक्षा के महान प्रतीक माने जाते हैं. उन्हें ‘हिंद दी चादर’ (Hind ki Chadar) कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने धर्म और अंतरात्मा की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन की कुर्बानी दी. गुरु तेग बहादुर के पिता का नाम गुरु हरगोबिंद साहिब (Guru Hargobind Sahib) है. सिख धर्म के छठवें गुरु हैं. गुरु तेग बहादूर ने बचपन से ही तलवारबाज़ी, घुड़सवारी और आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की. तेग बहादुर नाम गुरु हरगोबिंद जी ने दिया, उनकी तलवारबाज़ी और अदम्य साहस के कारण तेग यानी तलवार, इसलिए तेग बहादुर रखा गया. गुरु तेग बहादुर 1675 में कश्मीरी पंडितों पर जबरन धर्मांतरण का विरोध करते हुए दिल्ली के चांदनी चौक में शहीद हुए. आज इस जगह पर गुरुद्वारा शीश गंज साहिब स्थित है. गुरु तेज बहादुर ने गुरु ग्रंथ साहिब में कई शबद और भक्ति साहित्य जोड़ा। उन्होंने लोगों को साहस, विनम्रता और आध्यात्मिक जीवन का संदेश दिया. आनंदपुर साहिब की स्थापना में योगदान दिया. यह भी पढ़ें: Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day 2025: ‘डर कहीं और नहीं, आपके दिमाग में होता है.’ ऐसे प्रेरक कोट्स अपनों को भेजकर गुरु तेग बहादुर सिंह की शिक्षा को याद करें!

गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस: इतिहास और महत्व

1675 में कश्मीरी हिंदू पंडितों पर जबरन धर्मांतरण हो रहा था. वे गुरु तेग बहादुर जी के पास सहायता के लिए आए. गुरु जी ने अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई और औरंगज़ेब के सामने डटकर खड़े हुए. गुरु जी को आगरा और दिल्ली में अत्याचार झेलने पड़े. लेकिन उन्होंने धर्मांतरण से इनकार किया और अपने निर्णय पर अडिग रहे.

शहादत

24 नवंबर 1675 को दिल्ली के चांदनी चौक में उनका सिर धर से अलग कर दिया गया. आज वहीं गुरुद्वारा शीश गंज साहिब स्थित है.

महत्व

गुरु तेग बहादुर की शहादत धार्मिक स्वतंत्रता के इतिहास में सबसे बड़ा उदाहरण मानी जाती है। उन्होंने न सिर्फ सिखों बल्कि हर धर्म के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्राण दिए. इसी कारण उन्हें “हिंद की चादर” कहा जाता है.

गुरु तेग बहादुर का जीवन मानवता, साहस और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित था. उनका संदेश—“सत्य के पथ पर चलो, और अन्याय के आगे कभी सर मत झुकाओ” आज भी उतना ही प्रासंगिक है.

Share Now

\