Govardhan Puja 2022 Wishes in Hindi: वैसे तो हिंदू पंचांग के अनुसार, दीपावली (Deepavali) के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) का त्योहार मनाया जाता है, लेकिन इस साल दिवाली (Diwali) के अगले अगले दिन यानी 25 अक्टूबर 2022 को सूर्य ग्रहण होने के कारण गोवर्धन पूजा का पर्व 26 अक्टूबर 2022 को मनाया जा रहा है, जिसे अन्नकूट (Annakut) के नाम से भी जाना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) की ओर से देवराज इंद्र को पराजित किए जाने के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले इस पर्व के दिन घरों और मंदिरों में भगवान के लिए अन्नकूट किया जाता है और 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग अर्पित किया जाता है. प्रकृति और पशु धन की उपासना के इस अनूठे त्योहार के दिन श्रीकृष्ण के गोवर्धन स्वरूप विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन ब्रजवासी अपने-अपने घरों में गिरिराज गोवर्धन का मनमोहक श्रृंगार करते हैं, फिर उनकी उपासना करते हैं.
गोवर्धन पूजा से जुड़ी मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को कनिष्का उंगली पर उठाने की अलौकिक लीला को देखकर देवराज इंद्र उनके आगे नतमस्तक हो गए थे और कान्हा से क्षमा याचना की थी. इस खास अवसर पर आप इन भक्तिमय हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर अपने प्रियजनों को गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- श्रीकृष्ण की शक्ति और उनकी भक्ति,
लाए आपके जीवन में खुशियों की बहार,
मुरली मनोहर कान्हा की कृपा से,
आपको हर कदम पर मिले सफलता अपार.
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
2- कृष्ण की शरण में आकर,
भक्त नया जीवन पाते हैं,
इसलिए गोवर्धन पूजा का दिन,
हम सच्चे मन से मनाते हैं.
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
3- कन्हैया हमारे दुलारे,
वही सबसे प्यारे,
गोपियां देखकर दीवानी हो जाएं,
लेकिन सबके रखवाले,
तभी तो कान्हा हैं सभी के दुलारे.
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
4- गोकुल का ग्वाला बनकर,
रोज गैय्या चराता था,
वो ईश्वर का था अवतार,
लेकिन गौ माता की सेवा करता था.
ऐसा महान है गोवर्धन पूजा का यह त्योहार,
जिसने बढ़ाया प्रकृति का मान.
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
5- श्री कृष्ण जिनका नाम,
गोकुल जिनका धाम,
ऐसे भगवान श्री कृष्ण को,
हम सब का प्रणाम...
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
गोवर्धन पूजा का ब्रज में खास महत्व बताया जाता है, जिसे द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों के द्वारा की जाने वाली देवराज इंद्र की पूजा के स्थान पर प्रारंभ की थी. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इस पूजा की शुरुआत से क्रोधित होकर इंद्रदेव ने लगातार सात दिन तक भयंकर वर्षा की थी. ऐसे में इंद्रदेव के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान कृष्ण ने अपनी कनिष्का उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था. उन्होंने ऐसा करके सबकी न सिर्फ रक्षा की, बल्कि इंद्रदेव का घमंड भी चूर किया था. यह प्रकृति की उपासना का खास पर्व है, जिसके मूल में गौ, पृथ्वी और वन संपदा निहित है.