Lalbaugcha Raja Ganpati: गणेश चतुर्थी का आज दूसरा दिन, 91 वर्षों से मन्नतें पूरी करने वाले लालबागचा राजा के दर्शन को उमड़ा भक्तों का सैलाब; देखें VIDEO
(Photo Credits IANS)

Lalbaugcha Raja Ganpati Video:  हर साल जब गणेश चतुर्थी का त्योहार आता है तो मुंबई की गलियों से लेकर मंदिरों तक एक अलग ही रौनक दिखाई देती है. ढोल-ताशों की गूंज, बप्पा के स्वागत में लगने वाले जयघोष, फूलों से मंडलों की सजावट और उन्हें देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़, ये सब मिलकर इस त्योहार को बेहद खास बना देते हैं.  बप्पा के आगमन का आज दूसरा दिन हैं. भटक गणेश भगवनलालबागचा के दर्शन के लिए उमड़ पड़े हैं. 

हर किसी को इस पर्व का होता है इंतजार

बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई इस आयोजन का बेसब्री से इंतजार करता है. ऐसे में जब बात मुंबई की गणेश चतुर्थी की होती है तो सबसे पहला नाम जो हर किसी की जुबान पर आता है, वह है लालबागचा राजा मंदिर का. यह भी पढ़े: Ganpati 2022: Lalbaugcha Raja के दरबार में पति Vikrant Singh Rajpoot के साथ पहुंची Monalisa, भोजपुरी एक्ट्रेस बोली-सब अच्छा होने वाला है

लालबागचा राजा के दरसन के लिए लोगों की उमड़ी भीड़

मुंबई का सबसे अधिक लोकप्रिय सार्वजनिक गणेश मंडल लालबागचा राजा लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है. लालबाग परेल क्षेत्र स्थित यह पंडाल हर साल गणेश चतुर्थी के दौरान दुनियाभर से भक्तों को अपनी ओर खींचता है। यहां श्रद्धालु न सिर्फ दर्शन के लिए, बल्कि मन की मुरादें पूरी करने की आस लेकर दूर-दूर से आते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी सच्चे दिल से लालबागचा राजा से प्रार्थना करता है, उसकी हर मुराद जरूर पूरी होती है। इसलिए तो इन्हें 'मन्नतों का राजा' भी कहा जाता है.

आम लोगों के साथ ही  मशहूर हस्ती के लोग आते हैं बप्पा के दर पर

हर साल की तरह बड़ी और और मशहूर हस्तियों के साथ-साथ हजारों लाखों की संख्या में भक्त यहां बप्पा के दर्शन करने आ रहे हैं. इस बार यहां गणपति की 22 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई, जो तमिलनाडु के रामेश्वरम की पौराणिक कथा से प्रेरित है.

22 फीट ऊंची मूर्ति बनाई गई

लालबागचा राजा मंडल के उपाध्यक्ष सिद्धेश कोरगावकर ने मीडिया से बातचीत में कहा, "यह लालबाग इलाके का सबसे पुराने गणपति हैं.इस बार उनकी 22 फीट ऊंची मूर्ति बनाई गई है. उन्होंने कहा कि मूर्ति और इसकी सजावट में रामेश्वरम की थीम को दर्शाया गया है, जिसमें हनुमानजी रामेश्वरम से भगवान शंकर का पिंड लेकर आते हैं.

लालबागचा राजा मंडल की स्थापना  1934 में हुई थी

लालबागचा राजा मंडल की स्थापना साल 1934 में हुई थी। दरअसल, करीब नौ दशक पहले कुछ मछुआरों और दुकानदारों ने मिलकर बप्पा से बाजार के लिए एक पक्की जगह मिलने की मन्नत मांगी थी। जब उनकी यह मन्नत पूरी हुई तो उन्होंने आभार स्वरूप एक छोटी सी गणेश मूर्ति स्थापित की. वहीं से यह परंपरा शुरू हुई और आज 91 साल बाद भी पूरी आस्था के साथ निभाई जा रही है.

घंटों लाइन में लगने के बाद मिलाता है दर्शन

लालबागचा राजा के दर्शन के लिए दो मुख्य कतारें होती हैं. एक होती है 'नवसाची लाइन', जिसमें वे लोग लगते हैं जो अपनी किसी विशेष मन्नत लेकर बप्पा के चरणों तक जाना चाहते हैं.इस लाइन में दर्शन के लिए 25 से 40 घंटे तक का समय भी लग सकता है. दूसरी लाइन होती है "मुखदर्शन लाइन", जिसमें भक्त बप्पा को दूर से देख सकते हैं. यह लाइन अपेक्षाकृत छोटी होती है. कई बार यहां 4 से 5 घंटे लग जाते हैं.

सुरक्षा को लेकर कड़े इंतेजाम

हर बार की तरह इस साल भी गणेश चतुर्थी पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मंडल द्वारा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। हजारों पुलिसकर्मी और स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। पंडाल के अंदर भी श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल असिस्टेंस, पानी और शौचालय जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.