Gandhi Jayanti 2024 Messages: हैप्पी गांधी जयंती! दोस्तों-रिश्तेदारों संग शेयर करें ये हिंदी WhatsApp Wishes, GIF Greetings, Quotes और Photo SMS
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारत के स्वाधीनता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सभी धर्मों, जातियों और भाषाओं का सम्मान करते थे. उन्होंने दलितों और गैर-दलितों के बीच की खाई को भी भरने का काम किया था. उनकी 155वीं जयंती के इस खास अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, कोट्स और फोटो एसएमएस को भेजकर दोस्तों-रिश्तेदारों से हैप्पी गांधी जयंती कह सकते हैं.
2oct 2024 Gandhi Jayanti 2024 Messages in Hindi: हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की जयंती देशभर में मनाई जाती है. सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए स्वाधीनता संग्राम में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को हिलाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इस साल 155वीं जयंती (Gandhi Jayanti) मनाई जा रही है. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात (Gujarat) के पोरबंदर में हुआ था. गांधी जयंती के खास अवसर पर देशभर के लोग स्वाधीनता संग्राम में बापू के महत्वपूर्ण योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया जाता है और उन्हें यह उपाधि सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दी थी. दरअसल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ही 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहकर संबोधित किया था, जबकि प्यार से लोग उन्हें बापू कहकर पुकारते हैं.
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारत के स्वाधीनता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सभी धर्मों, जातियों और भाषाओं का सम्मान करते थे. उन्होंने दलितों और गैर-दलितों के बीच की खाई को भी भरने का काम किया था. उनकी 155वीं जयंती के इस खास अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, कोट्स और फोटो एसएमएस को भेजकर दोस्तों-रिश्तेदारों से हैप्पी गांधी जयंती कह सकते हैं.
Mahatma Gandhi Jayanti Quotes
गौरतलब है कि ब्रिटिश राज के खिलाफ भारत की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी सन 1915 से सक्रिय हुए और उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में जबरदस्त जान फूंक दी. उन्होने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी. यह उनकी सत्य और अहिंसा की राह पर चलने वाली नीतियों का ही प्रभाव था कि उनके साथ आंदोलन में जन सैलाब जुड़ने लगा और अंग्रेज भारत छोड़कर जाने को मजबूर हो गए.