Eid Mubarak 2022 Messages in Hindi: इस्लाम धर्म के सबसे मुकद्दस महीने रमजान (Ramzan) में रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करने के बाद आज दुनिया भर के मुसलमान ईद का त्योहार मना रहे हैं. इस दिन सुबह ईदगाह में नमाज अदा करने के बाद लोग एक-दूसरे से गले मिलकर ईद मुबारक (Eid Mubarak) कहते हैं. दरअसल, माह-ए-रमजान इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना है, जिसे अल्लाह की रहमतों, बरकतों और इबादतों वाला पाक महीना कहा जाता है. रमजान के महीने में दुनिया भर के मुसलमान रोजा रखते हैं और अपना ज्यादा से ज्यादा समय खुदा की इबादत में गुजारते हैं. कहा जाता है कि इस महीने अल्लाह अपने बंदों के लिए जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं, जहां रोजेदारों की हर जायज दुआ कुबूल होती है. दरअसल, 29वें या 30वें रोजे की शाम शव्वाल (Shawwal) का चांद नजर आने के बाद अगली सुबह ईद मनाई जाती है.
दुनिया भर के मुसलमान ईद को रोजा रखने के एवज में अल्लाह से ईनाम में मिला त्योहार मानते हैं. रमजान ईद को ईद-उल-फितर, ईद-अल-फितर और मीठी ईद कहा जाता है. अपनों से गले मिलकर मुबारकबाद देने के अलावा आप इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और फोटो एसएमएस के जरिए अपने प्रियजनों को ईद मुबारक कह सकते हैं.
1- चांद से रोशन हो त्योहार तुम्हारा,
खुशी से भर जाए आंगन तुम्हारा,
हर शिकायत हो दूर तुम्हारी,
ईद पर बस यही है दुआ हमारी.
ईद मुबारक!
2- हर मंजिल आपके पास आ जाए,
हर दुख-दर्द आपसे दूर हो जाए,
इस ईद पर हम करते हैं ये दुआ कि,
आप पर खुशियों की बौछार हो जाए.
ईद मुबारक!
3- दीपक में अगर नूर ना होता,
तन्हा दिल यूं मजबूर ना होता,
मैं आपको ईद मुबारक कहने जरूर आता,
अगर आपका घर इतना दूर ना होता.
ईद मुबारक!
4- तमन्ना आपकी सब पूरी हो जाए,
हो आपका मुकद्दर इतना रोशन,
कि आमीन कहने से पहले ही,
आपकी हर दुआ कुबूल हो जाए.
ईद मुबारक!
5- ईद का त्योहार आया है,
खुशियां अपने संग लाया है,
खुदा ने दुनिया को महकाया है,
देखो फिर से ईद का त्योहार आया है.
ईद मुबारक!
गौरतलब है कि ईद-उल-फितर इस्लामिक कैलेंडर के दसवें महीने शव्वाल की पहली तारीख को मनाया जाता है. दरअसल, हिजरी कैलेंडर में नए महीने की शुरुआत चांद के दीदार से होती है और चांद के दीदार के बाद ही ईद का त्योहार मनाया जाता है. लोग सुबह मस्जिदों में नमाज अदा करने के बाद एक-दूसरे से गले मिलते हैं और ईद मुबारक कहते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्योदय से पहले सहरी करके रोजे की शुरुआत करते हैं और शाम को सूर्यास्त के बाद इफ्तार करके रोजा खोलते हैं.