Ganesh Chaturthi 2022: इस चतुर्थी पर लाएं पसंदीदा इको-फ्रेंडली गणेश मूर्ति! सुख-समृद्धि के साथ पायें पर्यावरणीय लाभ! इन पांच विकल्पों में एक चुनें!
गणेश (Photo Credits: Pixabay)

Ganesh Chaturthi 2022: प्लास्टर ऑफ पेरिस अथवा अन्य नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों से बनी मूर्तियां पर्यावरण को सालों से नुकसान पहुंचा रही हैं. इसलिए पिछले कुछ सालों से इनके कई विकल्प हमें उपलब्ध हो रहे हैं, जो पर्यावरण को तो सुरक्षित रखते ही हैं, साथ ही पर्व के साथ हमारी आस्था भी जुड़ी रहती है. अगर आप भी इस बार गणपति बप्पा को घर पर ला रहे हैं, तो कुछ वैकल्पिक मूर्तियों के बारे में सोचें, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचे. यहां कुछ ऐसे ही विकल्पों का हम वर्णन कर रहे हैं. आप अपनी पसंद और सुविधानुसार गणपति बप्पा की मूर्तियों का चयन कर घर लाएं और धूमधाम से पूजा-अनुष्ठान कर तय तिथि पर आसानी से विसर्जन कर बप्पा का आशीर्वाद प्राप्त करें. यह भी पढ़े: Ganesh Chaturthi 2022 Wishes: गणेश चतुर्थी की इन भक्तिमय हिंदी WhatsApp Messages, Facebook Greetings, Quotes के जरिए दें शुभकामनाएं

पेपर मेड गणेश

गणेशजी की ये मूर्तियां वस्तुतः कागज की लुगदियों से बनाई जाती है. ये लुगदियां पुराने अखबारों और रद्दी पुस्तकों को कुछ समय तक पानी में भिगोकर तैयार की जाती हैं. इस लुगदी को सांचे में ढाल कर मूर्ति बनाई जाती हैं. इन मूर्तियों को अलंकृत करने के लिए केमिकल रंगों के बजाय प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जो हानिकारक नहीं होता है. ये आसानी से पानी में घुल जाते हैं, और सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाते.

गोबर निर्मित गणेश प्रतिमा!

पर्यावरण को संरक्षण देने के इरादे से अब मूर्तिकारों ने प्लास्टिक ऑफ पेरिस के विकल्पों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, इन्हीं विकल्पों में एक है गाय का गोबर. इस विकल्प को हरित क्रांति से भी जोड़कर देखा जाता है. गोबर के साथ चिकनी मिट्टी मिलाकर मूर्ति तैयार की जाती है, जिसे भी प्राकृतिक रंगों से अलंकृत किया जाता है. गोबर निर्मित गणपति का विसर्जन करने के बाद यह मिट्टी से मिलकर खाद में बदल जाता है, इससे पर्यावरण की सुरक्षा भी होती है, और अतिरिक्त लाभ भी प्राप्त होता है.

मिट्टी से निर्मित गणपति

गणेश जी की प्रतिमा बनाने के लिए आप कच्ची मिट्टी और सादी मिट्टी को मिक्स कर ले. इससे गणेशजी की प्रतिमा आसानी से बनाई जा सकती है. ये पूरी तरह से रसायन मुक्त होते हैं. एक छोटे से पटरे पर मूर्तियां बनाकर अच्छी तरह सुखा लें. अब वॉटर कलर के साथ फेवीकोल मिलाकर मूर्ति को विभिन्न रंगों से डेकोरेट करें. फेवीकोल मिलाने से कलर पक्का हो जाता है और रंग छूटता नहीं है. रंगों से अलंकृत करने के पश्चात मूर्ति को मोतियों आदि के हार एवं मुकुट से विभूषित करें. कच्ची मिट्टी से बनी होने के कारण विसर्जन के पश्चात मिट्टी आसानी से पानी में घुल जाती है.

चॉकलेट के गणपति

पिछले कुछ सालों से चॉकलेट की उपयोगिता बढ़ी है. ऐसे में मूर्तिकारों ने चॉकलेट को भी गणेश प्रतिमा के लिए उपयुक्त माध्यम बनाया है. हालांकि यह बात पढ़ने या सुनने में थोड़ी अजीब जरूर लग सकती है, लेकिन यह सत्य है कि पिछले कुछ सालों से मुंबई में चॉकलेट के गणपति गणेशोत्सव की शोभा बन रहे हैं. पूजा के पश्चात चॉकलेट की गणपति का विसर्जन घर पर ही एक बड़े बर्तन में पानी भरकर किया जाता है. चूंकि यह दूध और चॉकलेट मिलाकर बनाया जाता है, लिहाजा विसर्जन के पश्चात स्वादिष्ट मिल्क शेक बन जाता है, जिसे विभिन्न अनाथालयों में वितरित कर दिया जाता है.

पौधे योग्य गणेश (Plantable Ganesh)

ये मूर्तियां मिट्टी, जैविक खाद एवं किसी एक पौधे के बीजों से मिक्स करके बनाई जाती है. इस पर आसानी से रंग चढ़ाकर इन्हें आकर्षक बनाया जा सकता है. डेढ़ अथवा तीन दिन गणपति रखनेवाले गणेश भक्त अकसर ऐसी मूर्तियां घर लाते और पूजा करते हैं. ये आसानी से ऑनलाइन प्राप्त किये जा सकते हैं. इस तरह के गणपति का विसर्जन एक बड़े बर्तन में पानी भर कर किया जा सकता है. बाद में इस पानी को गमलों अथवा बगीचों में डाल देते हैं. कुछ सप्ताह में आपकी अपनी पसंद के अनुरूप पौधे इस मिट्टी से उगते हैं.