Durga Puja 2019: देशभर में नवरात्रि (Navratri) की तैयारियां जोरों पर है और हर कोई मां दुर्गा के स्वागत के लिए तैयार है. शारदीय नवरात्रि (Sharad Navratri) के दौरान पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की धूम देखने को मिलती है. यहां नवरात्रि में दुर्गा पूजा (Durga Puja) का भव्य आयोजन किया जाता है. खासकर, कोलकाता (Kolkata) में हर साल दुर्गा पूजा के दौरान दर्शन के लिए भारी तादात में भक्त दुर्गा पंडालों में आते हैं, जिनमें स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी अपने बच्चों के साथ दर्शन के लिए पहुंचती हैं. अपने शिशु को स्तनपान (Breastfeeding) कराने वाली महिलाओं के लिए इस साल दुर्गा पूजा के दौरान खास व्यवस्था की जाएगी. कोलकाता के तीन दुर्गा पूजा कमिटियों ने इस साल नवजात बच्चों को स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए स्तनपान चेंबर (Breastfeeding Chamber) की व्यवस्था की है.
बता दें कि हाल ही में कोलकाता में बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. दरअसल, कोलकाता के एक मॉल में महिला को अपने बच्चे को स्तनपान कराने के लिए काफी परेशान होना पड़ा था. बताया जाता है कि जब महिला का बच्चा दूध पीने के लिए रोने लगा तो एक मॉल के प्रबंधक ने उससे कहा कि वो अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए कोई जगह तलाश ले, उससे कहा गया कि वो चाहे तो वॉशरूम में जाकर अपने भूखे बच्चे को दूध पिला सकती है. यह भी पढ़ें: Navratri 2019: शारदीय नवरात्रि पर घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा, शुभ या अशुभ जानिए कैसा होगा इसका प्रभाव
वहीं एक अन्य घटना में महिला से साफ कह दिया गया कि वो घर जाकर अपने बच्चे को दूध पिलाए, सार्वजनिक जगह पर नहीं. स्तनपान कराने वाली महिलाओं को दुर्गा पूजा के दौरान इस तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसके लिए इस बार कोलकाता के दुर्गा पंडाल में स्तनपान करानेवाली महिलाओं के लिए खास स्तनपान चेंबर बनाने का फैसला किया गया है. यह भी पढ़ें: Navratri 2019 Colours List: शारदीय नवरात्रि के 9 दिन पहने इन रंगों के कपड़े, मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की करें आराधना
बता दें कि कोलकाता के अहीरीटोला दुर्गा पूजा, सॉल्टलेक एफडी ब्लॉक और चक्रबेरिया सर्बजननी दुर्गोत्सव कमिटी ने यह सराहनीय कदम उठाया है. इन दुर्गा कमिटियों की मानें तो यह एक अच्छी पहल है, क्योंकि इससे पहले माताओं के लिए स्तनपान चेंबर्स नहीं थे, जिसके कारण उन्हें परेशानी होती थी, लेकिन इस पहल के जरिए हम उम्मीद करते हैं कि इससे माताओं को अपने शिशु को दूध पिलाने में दिक्कत नहीं होगी और इससे एक सकारात्मक बदलाव आएगा.