Dhanteras 2019: धनतेरस पर होती है लक्ष्मी-कुबेर की पूजा, जानिए दिवाली से पहले मनाए जाने वाले इस पर्व की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

धनतेरस के दिन सोने, चांदी के गहने, पीतल के बर्तन खरीदने की परंपरा है. माना जाता है इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है उससे धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है. धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, धनतेरस से दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है. इस दिन शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-कुबेर, धन्वंतरि की पूजा की जाती है और यमराज के नाम दीपदान किया जाता है.

धनतेरस 2019 (Photo credits: File Image)

Dhanteras 2019: दिवाली (Diwali) हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व है, जिसे पूरे पांच दिन तक बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. अंधकार पर रोशनी की जीत के पर्व दिवाली की शुरूआत धनतेरस (Dhanteras) से हो जाती है. हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi) को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सोने, चांदी के गहने, पीतल के बर्तन खरीदने की परंपरा है. माना जाता है इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है उससे धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन के दौरान जो 14 रत्न प्राप्त हुए थे उनमें माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) और भगवान धन्वंतरि (Bhagwan Dhanvantari) भी शामिल हैं. धन्वंतरि भी इस दिन अवतरित हुए थे, इसलिए इस पर्व को धनतेरस कहा जाता है.

धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस (National Ayurveda Day) के रूप में भी मनाया जाता है. चलिए जानते हैं पांच दिनों की दिवाली की पहला त्योहार धनतेरस (Dhanteras 2019 Date) कब मनाया जा रहा है, इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है?

धनतेरस 2019 तिथि और शुभ मुहूर्त

धनतेरस तिथि- शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019.

त्रयोदशी प्रारंभ- 25 अक्टूबर 2019 को सुबह 07.08 बजे से,

त्रयोदशी समाप्त- 26 अक्टूबर 2019 की दोपहर 03.46 बजे तक.

पूजन का मुहूर्त- शाम 07.08 बजे से रात 08.14 बजे तक.

प्रदोष काल- शाम 05.39 बजे से रात 08.14 बजे तक. यह भी पढ़ें: Diwali 2019 Date & Full Scehdule: दिवाली कब है? जानिए धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन और भाई दूज की महत्वपूर्ण तिथियां

धनतेरस पर लक्ष्मी-कुबेर, धन्वंतरि की पूजा

धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में धन की देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी-कुबेर की पूजा करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में धन-संपत्ति और ऐश्वर्य बढ़ता है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है.

यमराज के नाम किया जाता है दीपदान

धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में मृत्यु के देवता यमराज के नाम दीया जलाया जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, जो भी व्यक्ति धनतेरस की शाम अपने आंगन के दक्षिण दिशा में दीप जलाकर रखता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है. माना जाता है कि इस दिन दक्षिण दिशा में दीपक जलाकर रखने से यमराज के भय से मुक्ति मिलती है. इस दीन यमराज के निमित्त दीपदान भी किया जाता है.

धनतेरस पर खरीदे जाते हैं बर्तन

माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब धन्वंतरि जी प्रकट हुए थे, तब उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था. भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन बर्तनों की खरीददारी करना शुभ माना जाता है. इस दिन पीतल और चांदी के बर्तनों को खरीदना शुभ माना जाता है. इससे घर में आरोग्य और सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है. यह भी पढ़ें: October 2019 Bank Holidays: अक्टूबर में पड़ रहे हैं दशहरा, दिवाली जैसे बड़े त्योहार, देखें इस महीने पड़नेवाली छुट्टियों की पूरी लिस्ट

इस विधि से करें पूजा

धनतेरस के दिन प्रदोष काल में भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है. पूजन के दौरान उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. इनके साथ माता लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा भी स्थापित करें. इसके बाद फूल, फल, अक्षत, रोली, चंदन, मिठाई, धूप और दीप से विधिवत पूजन करना चाहिए. पूजा के बाद एक दीप जलाकर घर की दक्षिण दिशा में रखकर यमराज को नमन करना चाहिए.

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