Dev Uthani Ekadashi 2021 Wishes in Hindi: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व बताया जाता है. इस महीने धन व ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विशेष उपासना की जाती है. इस महीने हिंदू धर्म के कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से एक है कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देव उठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi), जिसे देवोत्थान एकादशी (Devutthana Ekadashi) और प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पावन तिथि को करीब चार महीने के बाद भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं, जिसके साथ चातुर्मास समाप्त हो जाता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक मास की देव उठनी एकादशी के दिन योग निद्रा से जागते हैं, इसलिए इसका खास महत्व बताया जाता है. देवोत्थान एकादशी के इस पावन अवसर पर श्रीहरि के भक्त इन भक्तिमय विशेज, वॉट्सऐप ग्रीटिंग्स, फेसबुक मैसेजेस, कोट्स और जीआईएफ इमेजेस को भेजकर अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- सबसे सुंदर वो नजारा होगा,
दिवार पे दीयों की माला होगी,
हर आंगन में तुलसी मां विराजेंगी,
और आपके लिए पहला विश हमारा होगा.
देव उठनी एकादशी की शुभकामनाएं
2- हर घर के आंगन में तुलसी,
तुलसी बड़ी महान है,
जिस घर में ये तुलसी रहती,
वो घर स्वर्ग सामान है...
देव उठनी एकादशी की शुभकामनाएं
3- उठो देव हमारे, उठो इष्ट हमारे,
खुशियों से आंगन भर दो,
जितने मित्र-गण रहे,
सुख-दुख के सहारे,
उन्हें खुशियों से नवाजें.
देव उठनी एकादशी की शुभकामनाएं
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4- देवउठनी एकादशी के शुभ अवसर पर
भगवान विष्णु आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें.
देव उठनी एकादशी की शुभकामनाएं
5- भगवान विष्णु के नींद से जागने की,
श्रीहरि के सभी भक्तों को हार्दिक बधाई.
देव उठनी एकादशी की शुभकामनाएं
मान्यता है कि देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. एकादशी के व्रत में केला, आम, अंगूर के अलावा सूखे मेवों का सेवन व्रत के दौरान किया जा सकता है. इसके अलावा सभी प्रकार के फल, चीनी, आलू, साबूदाना, शकरकंद, नारियल, दूध, काली मिर्च, सेंधा नमक आदि का सेवन किया जा सकता है. जो यह व्रत करता है उसे द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने और दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.