Dev Uthani Ekadashi 2021 Messages in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी (Devutthana Ekadashi), देव उठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) और प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं. इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है, इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और मरने के बाद मोक्ष मिलता है. इस साल देव उठनी एकादशी याज यानी 14 नवंबर 2021 को मनाई जा रही है. इस एकादशी का खास महत्व है, क्योंकि इस दिन जहां भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागने के बाद चातुर्मास की समाप्ति होती है तो वहीं सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो जाती है.
देव उठनी यानी देवोत्थान एकादशी के दिन निर्जल या केवल जलीय पदार्थों का सेवन करके व्रत रखने का विधान है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस खास अवसर पर आप श्रीहरि के भक्तों को इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और जीआईएफ इमेजेस को भेजकर हैप्पी देव उठनी एकादशी कह सकते हैं.
1- हर घर में भगवान विष्णु विराजे,
हर घर में यश वैभव और समृद्धि आवे.
हैप्पी देव उठनी एकादशी
2- भगवान विष्णु आपके जीवन में,
आने वाली सभी बाधाओं को दूर करें,
और सारी मनोकामना पूरी करें.
हैप्पी देव उठनी एकादशी
3- भगवान विष्णु को मनाएं,
उन्हें नींद से जगाएं
इस देवउठनी एकादशी को,
विष्णु जी से आशीर्वाद पाएं.
हैप्पी देव उठनी एकादशी
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4- देवउठनी एकादशी आई,
सब के लिए मां तुलसी आशीर्वाद लाईं,
आप का घर सदा रहे खुशियों से भरा,
यही है मेरे और मेरे परिवार की प्रार्थना,
हैप्पी देव उठनी एकादशी
5- हे भगवान विष्णु!
हम आपसे सभी बाधाओं को,
दूर करने के लिए प्रार्थना करते हैं.
हैप्पी देव उठनी एकादशी
गौरतलब है कि एकादशी के दिन चावल खाना पूरी तरह से वर्जित माना जाता है. इसके अलावा मांसाहार और तामसिक गुणों वाली चीजों के सेवन से भी बचना चाहिए. एकादशी के दिन पेड-पौधों के पत्तों को तोड़ना नहीं चाहिए. साथ ही व्रत रखने वालों को इस दिन गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन रात्रि जागरण का विधान है और इस दौरान विष्णु सहत्रनाम और भगवत गीता का पाठ करना फलदायी माना जाता है. इसके साथ ही 'ओम् नमो भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का जप करना चाहिए.