Datta Jayanti 2020 Messages in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय की जयंती (Dattatreya Jayanti) मनाई जाती है. इस साल दत्त जयंती (Datta Jayanti) का यह पावन पर्व 29 दिसंबर 2020 को मनाया जा रहा है. भगवान दत्त यानी दत्तात्रेय (Lord Dattatreya) को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त रूप माना जाता है. कहा जाता है कि वो त्रिदेवों के अवतार हैं, इसलिए कहा जाता है कि उनकी पूजा करने से भक्तों को समस्त सुख, वैभव और ऐश्वर्यी की प्राप्ति होती है. इस पर्व को दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. दत्त भगवान के तीन सिर और छह भुजाएं हैं. उनका वाहन श्वान है और गुरुवार इनका प्रिय दिन है. कहा जाता है कि जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही है उन्हें गुरुवार के दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा कर हल्दी, चने की दाल, पीले फल और पीली मिठाई अर्पित करना चाहिए.
दत्त जयंती पर त्रिदेवों के संयुक्त रूप भगवान दत्तात्रेय की विधिवत पूजा की जाती है, ऐसा करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस शुभ अवसर पर लोग एक-दूसरे को बधाई भी देते हैं और आप भी ऐसा कर सकते हैं. आप इन शानदार भक्तिमय मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस को सोशल मीडिया के जरिए भेजकर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दे कर इस पर्व को खास बना सकते हैं.
1- दौड़े आते हैं भक्तों के लिए,
ब्रह्मा, विष्णु और महेश,
दिगंबरा, दिगंबरा,
श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
2- पल-पल सुनहरे फूल खिलें,
कभी ना हो कांटों का सामना,
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे,
भगवान दत्तात्रेय से यही है कामना.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
3- दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
4- भगवान दत्तात्रेय में समाहित हैं,
ब्रह्मा, विष्णु और महेश,
त्रिदेवों की यह त्रिमूर्ति,
आप सभी पर कृपा करें.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
5- इस दत्त जयंती पर सभी के महान गुरु,
त्रिमूर्ति के एक रूप भगवान दत्तात्रेय,
सभी को बुद्धिमत्ता, शांति और खुशी प्रदान करें.
दत्त जयंती की शुभकामनाएं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय ऋषि अत्रि और अनुसुइया के पुत्र हैं. देवी अनुसुइया ने कई सालों तक कोठर तप करके ऐसे पुत्र की कामना की थी, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों के अंश समाहित हो. उनके तप को देखते हुए त्रिदेवियों ने त्रिदेवों को अनुसुइया के सतीत्व की परीक्षा लेने का आग्रह किया.
तीनों देवता साधु का वेश बदलकर अनुसुइया के सतीत्व की परीक्षा लेने पहुंचे, लेकिन अनुसुइया ने मंत्र पढ़ते हुए तीनों पर जल का छिड़काव किया, जिससे त्रिदेव बाल रूप में आ गए. इसके बाद देवी अनुसुइया ने उन्हें माता बनकर स्तनपान कराया. जब ऋषि आश्रम पहुंचे तो उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से सब कुछ देख लिया. उन्होंने तीनों बच्चों को अपनी शक्ति से एक कर दिया. उस बच्चे के तीन सिर और छह भुजाएं थी.