Chhath Puja 2025 Calendar: इस साल छठ पूजा (Chhath Puja) 25 अक्टूबर 2025 से 28 अक्टूबर तक मनाई जाएगी. यह पूजा सूर्य देव और देवी चैती को समर्पित है. यह हिन्दू त्यौहार हर साल झारखंड, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. यह त्यौहार 4 दिनों तक मनाया जाता है. जो शुक्ल पक्ष चतुर्थी, नहाय खाय से शुरू होकर षष्ठी तिथि तक चलता है. इस पूजा में उपासक 36 घंटे का व्रत रखते हैं और इसमें सूर्य देव की उपासना करते हैं. यह व्रत बहुत ही कठिन होता है. इसे करने के लिए बहुत सारी तैयारियां करती हैं. पूजा में चढ़ाया जानेवाला प्रसाद घर पर बहुत ही साफ़ सफाई से बनाया जाता है. छठ का त्यौहार प्राचीन काल से मनाया जाता है. कहते हैं छठ का त्यौहार त्रेता युग से मनाया जाता है. रामायण काल के अनुसार भगवान् राम और माता सीता जब 14 वर्षों के वनवास के बाद जब अयोध्या लौटे तो दोनों ने सूर्यदेव को धन्यवाद कहने के लिए छठ व्रत रखा था. यह भी पढ़ें: Kedarnath Temple: केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद कहां विराजमान होते हैं बाबा केदार? 6 महीने तक इस खास स्थल पर होती है पूजा
महाभारत काल के अनुसार सुर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य पूजा की शुरुआत की. वो घन्टों गंगा नदी में खड़े होकर सूर्यदेव की उपासना करते थे. इस दौरान वे सूर्य की गर्मी से तपने लगते थे. माना जाता है कि सूर्य की कृपा से ही वे महान योद्धा बने और उनके कवच-कुंडल दिव्य शक्ति से चमकते थे. यही वजह है कि छठ को सूर्य उपासना का पर्व कहा जाता है. छठ व्रत को सबसे कठोर और कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, जिसमें लोग 36 घंटे तक जल और भोजन ग्रहण नहीं करते हैं.
Chhath Puja 2025 Calendar
| दिन | उत्सव | महत्व |
| October 25, 2025 | नहाय खाय | त्योहार का पहला दिन, जहां भक्त पवित्र स्नान करते हैं और सादा भोजन करते हैं. |
| October 26, 2025 | लोहंडा और खरना | इस दिन भक्त एक दिन का निर्जला व्रत रखते हैं. |
| October 27, 2025 | छठ पूजा या संध्या अर्घ्य | भक्त सूर्यास्त के समय सूर्य देव की प्रार्थना और अर्घ्य (जल) अर्पित करते हैं. |
| October 28, 2025 | उषा अर्घ्य | उषा अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे के व्रत का पारण किया जाता है. |
छठ पूजा न सिर्फ आस्था और श्रद्धा का पर्व है, बल्कि इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी गहरा संबंध है. इस पूजा के दौरान सूर्य की किरणों के सीधे संपर्क में आने से शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन D प्राप्त होता है और त्वचा पर पराबैंगनी किरणों (UV rays) का प्रभाव संतुलित होता है. यही कारण है कि यह पर्व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायक माना जाता है.
छठ पूजा प्रकृति और विज्ञान के बीच संतुलन का सुंदर उदाहरण है, जहां श्रद्धा, पर्यावरण और स्वास्थ्य एक साथ जुड़ते हैं. छठ पर्व आज दुनिया भर में आस्था का प्रतीक बन चुका है.













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