Chhath Puja 2023 Wishes in Hindi: पांच दिवसीय दिवाली पर्व (Diwali Festival) के बाद आस्था के महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत 17 नवंबर 2023 से नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ हो चुकी है. हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य देव (Surya Dev) और छठ मैया (Chhath Maiya) की उपासना के इस महापर्व की शुरुआत हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से नहाय-खाय के साथ होती है और सप्तमी तिथि को ऊषा अर्घ्य के साथ इसका समापन होता है. इस साल छठ पूजा का पर्व 17 नवंबर से 20 नवंबर 2023 तक मनाया जा रहा है. इस व्रत को काफी कठिन माना जाता है और इसके नियम भी काफी कठोर होते हैं, क्योंकि इस दौरान व्रती को 36 घंटे तक निर्जल व्रत रखना होता है. छठ पूजा महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन ऊषा अर्घ्य दिया जाता है.
आस्था के महापर्व छठ पूजा को बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और नेपाल के तराई वाले क्षेत्रों में मनाया जाता है. इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. इस अति पावन अवसर पर आप इन विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स को प्रियजनों संग शेयर कर उन्हें छठ पूजा की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- छठ का आज है पावन त्योहार,
सूरज की लाली मां का है उपवास,
जल्दी से आओ अब करो न विचार,
छठ पूजा का खाने तुम प्रसाद.
छठ पूजा की शुभकामनाएं
2- इस छठ पूजा में,
जो तू चाहे वो तेरा हो,
हर दिन खूबसूरत और रातें रोशन हो,
कामयाबी चूमते रहे तेरे कदम हमेशा,
छठ पूजा मुबारक हो तुझे मेरे यार.
छठ पूजा की शुभकामनाएं
3- छठ पूजा के महापर्व पर,
छठ मैया की जय हो,
धन-धान्य, समृद्धि से भरा रहे घर,
हर कार्य में आपकी विजय हो.
छठ पूजा की शुभकामनाएं
4- सदा दूर रहो गम की परछाईयों से,
सामना न हो कभी तन्हाइयों से,
हर अरमान, हर ख्वाब पूरा हो आपका,
यही दुआ है दिल की गहराइयों से.
छठ पूजा की शुभकामनाएं
5- रथ पे होके सवार,
सूर्यदेव आए आपके द्वार,
सुख-संपत्ति मिले आपको अपार,
छठ पूजा की शुभकामनाएं करें स्वीकार.
छठ पूजा की शुभकामनाएं
आपको बता दें कि नहाय-खाय के दिन व्रती स्नान करने के बाद प्रसाद बनाना शुरु कर देते हैं और एक ही बार खाना खाते हैं, पर्व के दूसरे दिन यानी खरना पर व्रती गुड की खीर का प्रसाद खाते हैं, फिर 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरु हो जाता है. छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे खास होता है, क्योंकि इसी दिन शाम के समय किसी पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. इसके बाद चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है, जिसे ऊषा अर्घ्य कहा जाता है.