Chhath Puja 2023 Nahay Khay Wishes: छठ पूजा नहाय-खाय की इन हिंदी WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Wallpapers, HD Images के जरिए दें बधाई
छठ पूजा नहाय-खाय 2023 (Photo Credits: File Image)

Chhath Puja 2023 Nahay Khay Wishes in Hindi: आज (17 नवंबर 2023) से नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ सूर्य देव (Surya Dev) और छठ मैया (Chhath Maiya) की उपासना का महापर्व शुरु हो गया है, जिसका समापन 20 नवंबर 2023 को ऊषा अर्घ्य के साथ होगा. दरअसल, पांच दिवसीय दिवाली पर्व (Diwali Festival) के समापन के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चार दिवसीय छठ पूजा (Chhath Puja) पर्व की शुरुआत होती है और समापन कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होती है. छठ पूजा के त्योहार को मुख्य रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और नेपाल के तराई वाले क्षेत्रों में पूरी आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है.

छठ पूजा का मुख्य पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है. इस दिन व्रती पवित्र नदी में स्नान करते हैं, फिर मिट्टी के चूल्हे पर मिट्टी या पीतल के बर्तनों में चने की दाल, लौकी और चावल बनाया जाता है, जिसका सेवन करने के बाद व्रत की शुरुआत हो जाती है. इस अवसर पर आप इन विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉलपेपर्स, एचडी इमेजेस के जरिए छठ पूजा नहाय-खाय की प्रिजयनों को बधाई दे सकते हैं.

1- छठ पूजा नहाय-खाय 2023

छठ पूजा नहाय-खाय 2023 (Photo Credits: File Image)

2- छठ पूजा नहाय-खाय 2023

छठ पूजा नहाय-खाय 2023 (Photo Credits: File Image)

3- छठ पूजा नहाय-खाय 2023

छठ पूजा नहाय-खाय 2023 (Photo Credits: File Image)

4- छठ पूजा नहाय-खाय 2023

छठ पूजा नहाय-खाय 2023 (Photo Credits: File Image)

5- छठ पूजा नहाय-खाय 2023

छठ पूजा नहाय-खाय 2023 (Photo Credits: File Image)

मान्यता है कि सूर्य देव और छठ मैया की उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन लोहंडा खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन ऊषा अर्घ्य शामिल है. इस व्रत के दौरान व्रती करीब 36 घंटे तक निर्जल निराहार रहते हैं और किसी कितालाब या नदी के जल में खड़े होकर सूर्यास्त के दौरान डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं, फिर अगले दिन सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.