Chhath Puja 2019 Date: छठ पूजा कब है? जानें नहाय-खाय, खरना, संध्या व उषा अर्घ्य की तिथि, छठ मैया और सूर्य देव की उपासना का महत्व

छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का पावन पर्व है जो चार दिनों तक चलता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठ मैया को सूर्य देव की बहन हैं और छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ मैया प्रसन्न होती हैं. इस व्रत को करने से घर-परिवार में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है. छठ का पर्व नहाय-खाय से शुरु होता है. इसके बाद खरना, संध्या और उषा अर्घ्य के साथ इसका समापन होता है.

छठ पूजा 2019 (Photo Credits: Wiki Commons)

Chhath Puja 2019 Date And Schedule: नवरात्रि, दिवाली की तरह ही छठ पूजा (Chhath Puja) हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. खासकर, बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई वाले क्षेत्रों में छठ पूजा की अनूठी छठा देखने को मिलती है. छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव (Surya Dev) की उपासना का पावन पर्व है जो चार दिनों तक चलता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठ मैया (Chhath Maiyya) सूर्यदेव की बहन हैं और छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ मैया प्रसन्न होती हैं. इस व्रत को करने से घर-परिवार में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है. वैसे तो सूर्यदेव की आराधना यह पर्व चैत्र शुक्ल षष्ठी व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को साल में दो बार मनाया जाता है, लेकिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी के छठ पर्व का विशेष महत्व बताया जाता है.

करीब चार दिन तक चलने वाले छठ पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी जैसे कई नामों से जाना जाता है. इस पर्व में व्रत रखने वालों को व्रत के नियमों का सख्ती से पालन करना पड़ता है. निर्जला व्रत करके सूर्यास्त और सूर्योदय के समय नदी के पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. अगर आप इस साल छठ पूजा करने की योजना बना रहे हैं तो इससे पहले यह जान लीजिए कि छठ पूजा कब है और नहाय-खाय, खरना, संध्या व उषा अर्घ्य की तिथि और सूर्य उपासना का महत्व क्या है.

छठ पूजा 2019 की तारीख और तिथि 

हर साल छठ पूजा दो बार मनाई जाती है, पहली चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को और दूसरी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को. हालांकि इन दोनों में कार्तिक महीने में पड़नेवाले छठ का बहुत महत्व बताया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, छठ का पर्व अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ता है. इस साल छठ पूजा का पर्व 31 अक्टूबर से 3 नवंबर 2019 तक मनाया जाएगा.

छठ पूजा की तिथि-

षष्ठी तिथि आरंभ- 2 नवंबर 2019 (00.51 बजे से)

षष्ठी तिथि समाप्त- 3 नवंबर 2019 (01.31 बजे तक)

नहाय- खाय (31 अक्टूबर 2019, गुरुवार)

नहाय-खाय से छठ पूजा के पावन पर्व की शुरुआत हो जाती है और यह तिथि 31 अक्टूबर 2019 को पड़ रही है. इस दिन भक्त किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं. इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर मिट्टी या पीतल के बर्तनों में चने की दाल, लौकी और चावल बनाया जाता है. इस भोजन को खाने के बाद व्रत की शुरुआत हो जाती है.

खरना (1 नवंबर 2019, शुक्रवार)

छठ पर्व के दूसरे दिन खरना होता है. कार्तिक शुक्ल पंचमी को पूरे दिन व्रत रखा जाता है और शाम को व्रती भोजन ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहा जाता है. इस दिन अन्न व जल ग्रहण किए बिना ही व्रत किया जाता है और शाम को चावल और गुड़ की खीर बनाकर उसका  सेवन किया जाता है. इस दिन नमक और चीनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसके बाद उन्हें 36 घंटे का निर्जल व्रत रखना पड़ता है. यह भी पढ़ें: Karwa Chauth 2019: कब है करवा चौथ? जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा, महत्व और पूजा विधि

संध्या अर्घ्य (2 नवंबर 2019, शनिवार)

षष्ठी के दिन छठ पूजा का प्रसाद (ठेकुआ) तैयार किया जाता है. इस दिन चावल के लड्डू भी बनाए जाते हैं. प्रसाद और फल बांस की टोकरी में सजाए जाते हैं. इस टोकरी को लेकर सभी व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं. महिलाए नए कपड़े पहनती हैं और लोक गीत गाए जाते हैं. फिर संध्या के समय नदी के पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है.

उषा अर्घ्य ( 3 नवंबर 2019, रविवार)

अगले दिन यानी सप्तमी को सुबह सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यह छठ पर्व का आखिरी दिन होता है. उषा अर्घ्य और सूर्य देव की विधिवत पूजा करने के बाद प्रसाद बांटा जाता है और इसके बाद व्रती अपने व्रत का पारण करते हैं. इसके साथ ही छठ पर्व का समापन होता है.

गौरतलब है कि छठ पूजा के व्रत को बहुत कठिन माना जाता है और व्रती इसके नियमों का सख्ती से पालन करते हैं. इस व्रत को सूर्य देव की कृपा पाने के लिए किया जाता है. सूर्य देव की कृपा से सेहत अच्छी रहती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. मान्यता है कि संतान की कामना करने वाले दंपत्ति भी इस व्रत करते हैं और छठ माई की कृपा से उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

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