Bohag Bihu 2019: असम का लोकप्रिय त्योहार है बोहाग बिहू, जानिए एक हफ्ते तक मनाए जाने वाले इस पर्व का महत्व और इससे जुड़ी परंपराएं

बोहाग बिहू को असम के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक माना जाता है. इस त्योहार को रोंगाली बिहू के नाम से भी जाना जाता है. असम में बोहाग बिहू को नववर्ष का आरंभ माना जाता है और इस बेहद खास मौके पर मौसम की पहली फसल को यहां के लोग अपने देवता शबराई को अर्पित करते हैं.

बोहाग बिहू 2019 (File Image)

Rongali Bihu 2019: बोहाग बिहू (Bohag Bihu) को असम (Asam) के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक माना जाता है. इस त्योहार को रोंगाली बिहू (Rongali Bihu) के नाम से भी जाना जाता है. असम में बोहाग बिहू को नववर्ष (New Year) का आरंभ माना जाता है और इस बेहद खास मौके पर मौसम की पहली फसल को यहां के लोग अपने देवता शबराई को अर्पित करते हैं. फसल के पकने की खुशी के इस पर्व को असम के अलावा ओड़िशा, पंजाब, तमिलनाडु और केरल में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. करीब एक हफ्ते तक मनाए जाने वाले इस त्योहार में असम की अलग-अलग संस्कृति और परंपराओं की झलक देखने को मिलती है.

असम में ड्रम व बाजे की गूंज और पारंपरिक नृत्य (Folk Dance) के साथ बोहाग बिहू का एक हफ्ते तक चलने वाले त्योहार का आगाज हो चुका है. चलिए जानते हैं असम के इस रंगीन त्योहार (colorful Festival) का महत्व और इससे जुड़ी खास परंपराओं के बारे में... यह भी पढ़ें: Pohela Boishakh 2019: पोहेला बोइशाख बंगाली समुदाय के लिए है बेहद खास, इस दिन लोग एक-दूसरे को शुभो नोबो बोरसो कह कर देते हैं नए साल की बधाई

साल में तीन बार मनाया जाता है यह त्योहार

फसल की कटाई की खुशी में बिहू का त्योहार साल में तीन बार मनाया जाता है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जनवरी महीने के मध्य में मनाए जाने वाले बिहू को भोगाली या माघ बिहू के नाम से जाना जाता है, जबकि मध्य अप्रैल में मनाया जाने वाला बिहू पर्व रोंगाली और बोहाग बिहू के नाम से मशहूर है, वहीं मध्य अक्टूबर में मनाए जाने वाले बिहू को कंगाली या काती बिहू के नाम से जाना जाता है.

एक हफ्ते तक मनाया जाता है जश्न

आसामी लोगों के नए साल का त्योहार रोंगाली बिहू या बोहाग बिहू का जश्न एक या दो दिन नहीं, बल्कि पूरे एक हफ्ते तक मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 15 अप्रैल से 21 अप्रैल 2019 तक मनाया जाएगा. 

बिहू का महत्व और परंपराएं 

चैत्र महीने की संक्रांति के दिन से असम में बिहू का उत्सव शुरु हो जाता है. इस दिन नए साल की शुरुआत मानी जाती है और इसी के साथ फसल की कटाई, शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है. सात दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है. बिहू के पहले दिन गाय की पूजा का विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन सुबह-सुबह गायों को नदी में ले जाकर उन्हें स्नान कराया जाता है और गायों को बांधने के लिए नई रस्सी का इस्तेमाल किया जाता है. यह भी पढ़ें: Happy Vishu 2019: प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रपति कोविंद और राहुल गांधी समेत इन दिग्गज नेताओं ने दी मलयाली न्यू ईयर विशु की शुभकामनाएं

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

असम के लोग नए साल का जश्न मनाने के लिए तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. इस खास मौके पर बिहू डांस किया जाता है जो यहां का पारंपरिक नृत्य है. पारंपरिक परिधान में यहां की महिलाएं और पुरुष ढोल, बांसुरी, पेपा, ताल की थाप पर नृत्य करते हैं. दरअसल, रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन इस त्योहार के उत्सव को बढ़ाए और बनाए रखने का काम करते हैं.

बनाए जाते हैं लजीज पकवान

बात नए साल के जश्न की हो और लजीज पकवान न खाए जाएं, ऐसा कैसे हो सकता है. जी हां, बोहाग बिहू के अवसर पर असम में लोग दही-चिवड़ा खाते हैं. इसके अलावा इस पर्व में नारियल, चावल, तिल, दूध का इस्तेमाल करके लजीज पकवान बनाए जाते हैं. इसके साथ ही मच्छी पीतिका, बेंगेना खार, घिला पीठा जैसे व्यंजन मुख्य रुप से बनाए जाते हैं.

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