Ashadhi Ekadashi 2024 Wishes: आषाढ़ी एकादशी की इन हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, Photo SMS के जरिए दें प्यार भरी शुभकामनाएं
आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

Ashadhi Ekadashi 2024 Wishes in Hindi: साल भर में पड़ने वाली सभी एकादशी तिथियां भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, लेकिन आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi), आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi), हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi), पद्मनाभा एकादशी (Padmnabha Ekadashi) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. इस साल आषाढ़ी एकादशी का पर्व 17 जुलाई 2024 को मनाया जा रहा है. इसी एकादशी से भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार महीने की योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसके साथ चतुर्मास की शुरुआत हो जाती है. महाराष्ट्र में इस एकादशी को आषाढ़ी एकादशी के तौर पर धूमधाम से मनाया जाता है, जिसकी धूम देखते ही बनती है.

आषाढ़ी एकादशी का महत्व इसलिए भी ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि इसी दिन से चतुर्मास की शुरुआत होती है और चार महीने के लिए सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. इस दिन महाराष्ट्र में विट्ठल-रुक्मिणी की पूजा की जाती है, साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. इस अवसर पर आप इन शानदार हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स और फोटो एसएमएस के जरिए प्यार भरी शुभकामनाएं दे सकते हैं.

1- ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
शुभ आषाढ़ी एकादशी

आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

2- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
शुभ आषाढ़ी एकादशी

आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

3- ॐ श्री लक्ष्मी नारायण नम:
शुभ आषाढ़ी एकादशी

आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

4- ॐ श्री विष्णवे नम:
शुभ आषाढ़ी एकादशी

आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

 5- ॐ नमो नारायणाय नम:
शुभ आषाढ़ी एकादशी

आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

गौरतलब है कि आषाढ़ी एकादशी यानी देवशयनी एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से शुरु हो जाता है. इस दिन सूर्योदय के बाद उठकर स्नानादि से निवृत्त होने के बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करके विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है, इसके साथ ही रात्रि जागरण का विधान है. अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन कराने और दक्षिणा देने के बाद इस व्रत का पारण करना चाहिए.