Abul Kalam Azad Death Anniversary 2023 Quotes: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों में शुमार डॉ. मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना अतुलनीय योगदान दिया था, इसलिए उन्हें आजाद भारत का पहला शिक्षा मंत्री बनाया गया था. उनका जन्म 11 नवंबर 1988 को मक्का में हुआ था, जबकि उनका निधन 22 फरवरी 1958 को नई दिल्ली में हुआ था. आज यानी 22 फरवरी को मौलाना अबुल कलाम आजाद की 65वीं पुण्यतिथि (Maulana Abul Kalam Azad Punyatithi) मनाई जा रही है. उनका पूरा नाम सैय्यद गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल हुसैनी है. अबुल कलाम आजाद अरबी, बंगाली, हिंदुस्तानी, फारसी और अंग्रेजी समेत कई भाषाओं के जानकार थे.
जब अबुल कलाम आजाद 15 साल के थे, तब उहोंने खुद से दोगुनी उम्र के छात्रों को पढ़ाना शुरु कर दिया था. उन्होंने 16 साल की उम्र में ही शिक्षा का पारंपरिक पाठ्यक्रम पूरा कर लिया था. वे जितने ज्ञानी थे, उनके विचार भी उतने ही महान थे. मौलाना अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि के अवसर पर आप उनके इन 10 महान विचारों को अपनों संग शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
1- अपने सपने सच करने से पहले आपको सपने देखने होंगे.
2- अपने मिशन में सफल होने के लिए आपके पास अपने लक्ष्य के लिए एकल दिमाग वाली भक्ति होनी चाहिए.
3- शीर्ष पर चढ़ना ताकत की मांग करता है, चाहे वह माउंट एवरेस्ट के शीर्ष पर हो या आपके करियर के शीर्ष पर.
4- लोकतंत्र का जीवित रहना बहुत जरूरी है. यह देश की ऐसी विशेषता है जो आधुनिक भारत को दूसरों से अलग बनाती है.
5- मुझे भारतीय होने पर गर्व है, मैं भारतीय राष्ट्रीयता का हिस्सा हूं और मैं हर पल भारत के निर्माण के लिए खड़ा रहूंगा.
6- दिल से दी गई शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है.
7- बहुत सारे लोग पेड़ लगाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ को ही उनका फल मिलता है.
8- गुलामी बहुत बुरी होती है, भले ही इसका नाम कितना भी खूबसूरत क्यों न हो.
9- हमें जीवन में कभी हताश नहीं होना चाहिए, निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए.
10- सभी धर्म समान हैं, हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए.
अबुल कलाम आजाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से बेहद प्रभावित थे, इसलिए वो हमेशा उनके आदर्शों का पालन करते थे. आजाद 'खिलाफत आंदोलन' के प्रमुख नेता बने था. इसके अलावा उन्होंने 'सविनय अवज्ञा' और 'असहयोग आंदोलन' में सक्रिय भूमिका निभाई थी. राष्ट्र निर्माण में बहुमूल्य योगदान देने वाले मौलाना अबुल कलाम को साल 1992 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. 22 फरवरी 1958 के दिन उन्होंने अंतिम सांस ली थी.