प्रत्येक वर्ष 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है. यह दिवस विशेष भारत के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद को उनकी जयंती पर समर्पित किया गया है. आजाद हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू एवं अरबी जैसी भाषाओं के अच्छे जानकार थे. मौलाना आजाद के नाम से लोकप्रिय अबुल कलाम ना केवल प्रसिद्ध विद्वान, कवि एवं पत्रकार थे, बल्कि उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने अमूल्य योगदान के लिए भी जाना जाता है. पहले मुगलों एवं तत्पश्चात ब्रिटिश हुकूमत ने सबसे ज्यादा भारतीय पुरातन शिक्षा को नुकसान पहुंचाया है. ऐसे में मौलाना कलाम के सामने प्रबल चुनौती थी, भारत को उसके गौरवशाली शिक्षा पद्धति को वापस दिलाने की, और काफी हद तक वह अपने प्रयास में सफल भी रहे. 11 नवंबर 1888 को जन्में अबुल कलाम की 135वीं जयंती के अवसर पर प्रस्तुत है, उनके कुछ रोचक और प्रेरक कथ्य
* जो संगीत से प्रभावित नहीं होता वह मानसिक रूप से अस्वस्थ और असंयमी होता है.
* शिक्षाविदों को छात्रों में जिज्ञासा, रचनात्मकता, उद्यमशीलता और नैतिक नेतृत्व की भावना का निर्माण करना चाहिए और उनका आदर्श बनना चाहिए.
* शीर्ष पर चढ़ने के लिए ताकत की आवश्यकता होती है, चाहे वह माउंट एवरेस्ट की चोटी हो या आपके करियर का शिखर हो.
* राष्ट्रीय शिक्षा का कोई भी कार्यक्रम तब तक उचित नहीं हो सकता जब तक वह समाज के आधे हिस्से अर्थात महिलाओं की शिक्षा और उन्नति पर पूरा ध्यान न दे.
* दिल से दी गई शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है.
* हमने किसी पर आक्रमण नहीं किया है, हमने किसी पर विजय नहीं पाई है, हमने उनकी जमीन, उनकी संस्कृति, उनके इतिहास को कभी नहीं छीना है, ना ही उन पर अपनी जीवन शैली थोपने की कभी कोशिश ही की है.
* शिक्षा विशेषज्ञों को छात्रों में जांच की भावना, रचनात्मकता, उद्यमशीलता, और नैतिक नेतृत्व की क्षमता का निर्माण करना चाहिए, और उनका रोल मॉडल बनना चाहिए.
* अपने मिशन में सफल होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठ समर्पण होना चाहिए.
* अपने सपने सच होने से पहले आपको सपने देखना होगा.
* क्या हमें यह एहसास नहीं है कि आत्मसम्मान आत्मनिर्भरता से आता है?
* महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा सफल होते हैं.
* त्वरित लेकिन कृत्रिम खुशी के पीछे भागने की बजाय ठोस उपलब्धियां हासिल करने के लिए अधिक समर्पित रहें.
भारतीय शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए तमाम उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना और शिक्षा के लिए तमाम सुविधाएं लाने वाले अबुल कलाम आजाद का निधन 22 फरवरी 1958 को दिल्ली में हुआ.