Eid-ul-Fitr 2019: ईद अल-फितर से पहले होती है 'लैलातुल जाइजा' की रात, हर दुआ अल्लाह करते हैं कबूल
माहे रमजान खत्म होने को है, आखिरी रोजे की शाम ईद का चांद दिखने के बाद ईद अल-फितर 5 या 6 जून को मनाई जाएगी. रमजान के अंतिम दस दिनों और रातों का बहुत महत्त्व है रातों में से एक को "लैलात अल-क़द्र" कहा जाता है...
Eid Mubarak 2019: माहे रमजान खत्म होने को है, आखिरी रोजे की शाम ईद का चांद दिखने के बाद ईद अल-फितर 5 या 6 जून को मनाई जाएगी. रमजान के अंतिम दस दिनों और रातों का बहुत महत्त्व है, इन रातों में से एक को "लैलात अल-क़द्र" कहा जाता है. इस्लामी इतिहास में इस महत्वपूर्ण रात के अलावा एक और रात है जो मुसलमानों के बीच एक उच्च स्थान रखती है, जिसे 'लैलातुल जाइजा' कहा जाता है. इसका मतलब है 'इनाम की रात'. "लैलातुल जाइजा" का मतलब 'रिवार्ड ऑफ नाइट्स' है. 'लैलातुल जाइजा' ईद-अल-फ़ित्र से पहले की रात है, इसे बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.
इस रात जो अल्लाह की इबादत करता है, उसे अल्लाह से इनाम मिलता है. यह वह रात है, जिसमें अल्लाह अपने बंदों की दुआएं जरुर कबूल करते हैं. इस रात का पूरा लाभ उठाना चाहिए और अल्लाह से दुआ मांगनी चाहिए. पैगंबर मोहम्मद और उनके अनुयायियों ने 'लैलातुल जाइजा' के महत्त्व पर जोर दिया है.
ईद अल-फितर से पहले की रात को "लैलातुल जाइजा" कहा जाता है. इस रात सभी ईद की तैयारियों में व्यस्त होते हैं, लेकिन इस रात अल्लाह हर इबादत को कुबूल करते हैं. 'लैलातुल जाइजा' के लिए कोई विशेष इबादत नहीं है. लेकिन मुसलमान सलाहा (नमाज), कुरान और अन्य तरीकों को अपनी इबादत में शामिल कर सकते हैं. ऐसा कहा जाता है कि पैगंबर ईद-उल-फितर के एक दिन पहले की रात नहीं सोए थे. वो पूरी रात नफ्ल की इबादत करते रहे. इसलिए इबादत में नफ्ल की सुन्नत का पालन करना अच्छा माना जाता है.