Eid al-Adha 2024 Date: सऊदी अरब में बकरीद कब है? इतिहास से लेकर महत्व तक, जानें इस इस्लामिक त्योहार के बारे में सब कुछ
ईद अल-अधा इस्लामिक कैलेंडर के बारहवें और अंतिम महीने, धुल हिज्जा के 10वें दिन मनाया जाता है. जैसे ही सऊदी अरब में धुल हिज्जा 1445 की शुरुआत होती है, लोग ईद अल अधा 2024 की तारीख की ढूंढने लग जाते हैं. अगर आप भी जानना चाहते हैं कि सऊदी अरब में बकरीद कब है, तो आप सही जगह पर हैं.
Eid al-Adha 2024 Date in Saudi Arabia: ईद अल-अधा (Eid al-Adha) को ईद उल अजहा (Eid Ul Azha), बकरीद (Bakrid) और बकरा ईद (Bakra Eid) के नाम से भी जाना जाता है. बकरीद मुस्लिम समुदाय द्वारा दुनिया भर में मनाए जाने वाले दो प्रमुख इस्लामी त्योहारों में से एक है. ईद अल-अधा इस्लामिक कैलेंडर के बारहवें और अंतिम महीने, धुल हिज्जा (Dhul Hijjah) के 10वें दिन मनाया जाता है. जैसे ही सऊदी अरब (Saudi Arabia) में धुल हिज्जा 1445 की शुरुआत होती है, लोग ईद अल अधा 2024 की तारीख की ढूंढने लग जाते हैं. अगर आप भी जानना चाहते हैं कि सऊदी अरब में बकरीद कब है, तो आप सही जगह पर हैं. इसके साथ ही इस लेख में इसके इतिहास से लेकर महत्व तक से जुड़ी हर जानकारी विस्तार से दी गई है.
जो लोग नहीं जानते, उन्हें बता दें कि प्रत्येक इस्लामी महीना चंद्रमा के दीदार के आधार पर 29 या 30 दिनों तक चलता हैय मुसलमान हर महीने की 29 तारीख को आसमान में चांद देखने की कोशिश करते हैं. अगर चांद दिख जाए तो चल रहा महीना खत्म हो जाता है और अगले दिन से नया महीना शुरू हो जाता है. यदि चंद्रमा अदृश्य रहता है, तो चल रहे महीने के 30 दिन पूरे होने के बाद नया महीना शुरू होता है. 6 जून को धुल हिज्जा (Dhul Hijjah) से पहले वाले महीने धुल कदाह (Dhul Qadah) की 29 तारीख़ थी.
चंद्रमा देखने की रस्म के बाद सऊदी अरब के सुप्रीम कोर्ट ने घोषणा की है कि देश में अर्धचंद्र गुरुवार, 6 जून को देखा गया था, इसलिए, धुल हिज्जा शुक्रवार, 7 जून से शुरू होगा. यह भी पढ़ें: Dhu al-Hijjah Moon Sighting In Saudi Arabia: Bakrid 2024 कब होगी? आज शाम सऊदी अरब में दिख सकता है चांद
सऊदी अरब में ईद अल-अधा 2024 की तिथि
जैसा कि लेख में ऊपर उल्लेख किया गया है, ईद अल-अधा 10वीं धुल हिज्जा यानी इस महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है. ऐसे में बता दें कि चांद के दीदार के बाद धुल हिज्जा महीने की शुरुआत 7 जून से हुई है, इसलिए सऊदी अरब में ईद अल-अधा 2024 की तारीख 16 जून की पुष्टि की गई है, जबकि वार्षिक इस्लामी तीर्थयात्रा 15 जून को की जाएगी.
ईद-उल-अज़हा का इतिहास और महत्व
ईद-उल-अजहा के दिन आर्थिक रूप से स्थिर मुसलमानों को बकरे की बलि देते हैं और उसके मांस को अपने रिश्तेदारों व गरीब लोगों के बीच बांटते हैं. इस्लामिक धर्मग्रंथों के अनुसार, अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम से अपनी सबसे प्रिय चीज का बलिदान देने को कहा था. पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे को सबसे ज्यादा प्यार करते थे, लेकिन उन्होंने अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए अपने बेटे की बलि देने का फैसला किया.
उनका बेटा इस्माइल भी अल्लाह की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी बलि देने के लिए सहमत हो गया, लेकिन जब पैंगबर इब्राहिम ने अपने बेटे का गला काटने की कोशिश की तो उन्होंने उनके बेटे की जगह कुर्बानी को बकरे में बदल दिया. बताया जाता है कि पैगंबर इब्राहिम के समर्पण से खुश होकर अल्लाह ने उनके बेटे की जगह कुर्बानी को बकरे में बदल दिया, तब से इस दिन बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा निभाई जा रही है.